Question:

निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक व्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए: 
और यह कैलेंडर से मालूम था 
अमुक दिन अमुक चार मदनमहिनी की होगी पंचमी 
दस्सर में छुट्टी थी – यह था प्रमाण 
और कविताएँ पढ़ते रहने से यह पता था 
कि दह-दह दहकने लगी है कांसे की जंगल 
आम बौर आएँगे 
ग्या-ग्या-गूँ से लदे-फँदे दूर के विदेशों के 
वे नंदन-वन बनेंगे श्यामल 
मधुमय पिघलेंगे आदि अपना-अपना कृतित्व 
अभ्यास करके दिखाएँगे 
यही तय किया था कि आज के नग्नत्व से जाऊँगा 
जैसे मैं जाना, कि वसंत आया। 
 

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सप्रसंग व्याख्या में संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या और निष्कर्ष चारों भाग लिखें। हर पंक्ति का अर्थ केवल शब्दार्थ से नहीं, बल्कि भावना से जोड़कर समझाएँ।
Updated On: Jul 18, 2025
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Solution and Explanation

संदर्भ:
प्रस्तुत काव्यांश समकालीन हिंदी कविता की कोमल संवेदनाओं और सामाजिक यथार्थ का समावेश करता है।
यह पंक्तियाँ कवि की उस अनुभूति का चित्रण हैं जिसमें वह वसंत ऋतु के आगमन के साथ-साथ साहित्य, प्रकृति और यथार्थ की गहराइयों को जोड़ता है।
प्रसंग:
यह कविता आधुनिक समय की जीवनशैली, संवेदना और प्रकृति की विस्मृति के विरुद्ध कवि की चेतना का सजीव उदाहरण है।
कवि कैलेंडर, साहित्य और संवेदनाओं के माध्यम से वसंत के आगमन की भविष्यवाणी करता है और उसे वर्तमान नग्न यथार्थ पर एक सांस्कृतिक आवरण की तरह प्रस्तुत करता है।
व्याख्या:
कवि कहता है कि उसे कैलेंडर देखकर यह पता चला कि वसंत पंचमी आने वाली है — एक शुभ दिन।
दस्सहरे की छुट्टी इसका प्रमाण थी और कविता पढ़ते हुए उसमें वसंत की आहट को महसूस किया जा सकता था।
प्रकृति की भाषा — जैसे आम के बौर आना, जंगल का दहकना — उसके लिए संकेत बन जाते हैं।
कवि प्रतीकों और रूपकों का प्रयोग करते हुए कहता है कि अब गूँजने वाली आवाजें,
विदेशी तकनीकें और संस्कृति यहाँ नंदन-वन बन जाएँगी, यानी इस धरती पर भी
श्रम, साहित्य, कला का नया संचार होगा।
'मधुमय पिघलेंगे' — यह वाक्य रचनात्मकता और मानवीय कृतित्व की मधुर परिणति का संकेत है।
अंत में कवि यह निश्चय करता है कि वह नग्न यथार्थ को छोड़कर एक आशान्वित, सृजनात्मक और सुंदर पथ की ओर अग्रसर होगा।
कवि के अनुसार — जैसे वसंत का आना तय है, वैसे ही परिवर्तन भी अवश्यंभावी है।
निष्कर्ष:
इस काव्यांश में वसंत केवल ऋतु नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक एवं भावनात्मक परिवर्तन का प्रतीक बन जाता है।
यह कविता संवेदना, प्रकृति और आशा के गहरे तंतुओं को जोड़ते हुए, यथार्थ से संघर्ष और सौंदर्य की स्थापना का संदेश देती है।
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