Question:

निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
थाना बिंधपुर स्टेशन पर गाड़ी पहुँची तो हरगोबिन का जी भारी हो गया। इसके पहले भी कई भला-बुरा संवाद लेकर वह इस गाँव में आया है, कभी ऐसा नहीं हुआ। उसके पैर गाँव की ओर बढ़ ही नहीं रहे थे। इसी पंडंडी से बड़ी बहुरिया अपने मैके लौट आयेगी। गाँव छोड़कर चली जायेगी। फिर कभी नहीं आयेगी। हरगोबिन का मन कल्पने लगा – तब गाँव में क्या रह जाएगा? गाँव की लक्ष्मी ही गाँव छोड़कर जायेगी! \ldots{} किस मुँह से वह ऐसा संवाद सुनाएगा? कैसे कहेगा कि बड़ी बहुरिया बझड़ा-सागा खाना गुज़ारा कर रही है? सुनने वाले हरगोबिन के गाँव का नाम लेकर थूकेंगे – कैसा गाँव है, जहाँ लक्ष्मी जैसी बहुरिया दुख भोग रही है! 
 

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गद्यांश व्याख्या में पात्र की मनःस्थिति, सामाजिक सन्दर्भ और कथात्मक संकेतों को अवश्य जोड़ें।
Updated On: Jul 24, 2025
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Solution and Explanation

यह गद्यांश ‘बड़े भाई साहब’ या ‘नया गाँव’ जैसी ग्रामीण यथार्थवादी कहानी से लिया गया है, जिसमें गाँव की स्मृति, परिवर्तन, और मानवीय संवेदना का गहन चित्रण है। यह अंश पात्र हरगोबिन के मानसिक द्वंद्व और गाँव की स्मृतियों से जुड़ा है।
प्रसंग: हरगोबिन स्टेशन पर उतरकर अपने पुराने गाँव की ओर लौटता है। वर्षों बाद वह गाँव जा रहा है जहाँ कभी उसके जीवन की सुखद स्मृतियाँ थीं, लेकिन अब उसके मन में चिंता, भय और अपराधबोध है कि गाँव बदल गया होगा — और लोग भी। यह गद्यांश उसी मानसिक स्थिति को दर्शाता है।
व्याख्या: हरगोबिन जब गाड़ी से उतरता है तो उसके मन में गहरा भावनात्मक द्वंद्व उत्पन्न होता है। पहले भी वह गाँव की बुरी-अच्छी खबरें सुनता रहा था, लेकिन लौटना नहीं हुआ।
अब उसके पैर खुद उसे गाँव की ओर खींच रहे हैं। वह सोचता है — “क्या लक्ष्मी जैसी बहू गाँव छोड़कर चली जाएगी? क्या बड़ी बहुरिया इतनी पीड़ा सह रही है?”
हरगोबिन को यह सोचकर ग्लानि होती है कि जिस गाँव में कभी सुख-स्मृति थी, वहाँ अब दुख का वास है। वह कल्पना करता है कि अगर सबने गाँव छोड़ दिया, तो गाँव कैसा रहेगा? उसका स्वर आत्मग्लानि और सामाजिक उत्तरदायित्व से भरा हुआ है।
निष्कर्ष: यह गद्यांश केवल एक व्यक्ति की व्यथा नहीं, बल्कि गाँव, परिवार और मूल्यों से टूटते संबंधों का प्रतीक है। यह वर्तमान पीढ़ी और गाँव के बदलते स्वरूप की ओर संकेत करता है, जहाँ लक्ष्मी जैसी स्त्रियाँ पीड़ित हैं और पुरुष मानसिक दुविधा में जी रहे हैं।
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