चरण 1: सामाजिक परिवर्तन के स्वरूप समझें। 
समाजशास्त्र में परिवर्तन के प्रमुख स्वरूप/रूपरेखाएँ मानी जाती हैं—उत्क्रान्ति (धीरे-धीरे क्रमिक बदलाव), विकास (संरचनात्मक-विस्तार व भौतिक/संस्थागत उन्नति), प्रगति (मूल्य-मानकों के अनुसार ''बेहतर'' दिशा में बदलाव), तथा क्रांति/सुधार आदि। ये परिवर्तन की प्रक्रियाएँ या प्रकार हैं, जो समाज की संरचना और कार्य-प्रणाली को रूपांतरित करते हैं। 
चरण 2: विकल्पों का मूल्यांकन। 
(1) विकास, (2) प्रगति और (3) उत्क्रान्ति—तीनों सामाजिक परिवर्तन के स्वरूप हैं। 
(4) बेरोज़गारी स्वयं में परिवर्तन का स्वरूप नहीं बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक समस्या/प्रभाव है, जो कुछ परिवर्तनों (जैसे स्वचालन, संरचनात्मक मंदी, कौशल-असंगति) के कारण उभर सकती है। इसलिए यह श्रेणीगत रूप से अलग है। 
निष्कर्ष: दिए विकल्पों में बेरोज़गारी सामाजिक परिवर्तन का स्वरूप नहीं है; शेष तीन परिवर्तन के प्रकार हैं।