(i) आतंकवाद : कारण एवं निवारण
परिचय:
आधुनिक युग की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक आतंकवाद है। यह एक ऐसी अमानवीय प्रवृत्ति है जो समाज और राष्ट्र की शांति, सुरक्षा और विकास को नष्ट कर देती है। आतंकवादी निर्दोष लोगों की हत्या कर भय का वातावरण उत्पन्न करते हैं।
कारण:
आतंकवाद के कई कारण हैं—राजनीतिक अस्थिरता, धार्मिक कट्टरता, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, विदेशी हस्तक्षेप और शिक्षा का अभाव। कुछ लोग व्यक्तिगत स्वार्थ या सत्ता की लालसा के कारण भी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
निवारण:
आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कठोर कानून, सशक्त पुलिस व्यवस्था और अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। साथ ही, लोगों को शिक्षा, रोजगार और न्याय दिलाना भी जरूरी है ताकि वे आतंकवाद की राह पर न चलें। मीडिया और समाज को भी शांति और भाईचारे का संदेश फैलाना चाहिए।
निष्कर्ष:
आतंकवाद मानवता का शत्रु है। इसका निवारण केवल हथियारों से नहीं बल्कि शिक्षा, समानता और सहयोग से ही संभव है।
(ii) वृक्षारोपण
परिचय:
वृक्ष हमारे जीवन का आधार हैं। वे हमें प्राणवायु, फल, फूल, लकड़ी और औषधियाँ देते हैं। वृक्षों के बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है।
महत्व:
वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। प्रदूषण, वर्षा की कमी, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ वृक्षों की कमी से बढ़ रही हैं। वृक्षारोपण से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
उपाय:
विद्यालयों, नगरों और गाँवों में नियमित वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाए जाएँ। प्रत्येक नागरिक को हर वर्ष एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए और उसकी देखभाल करनी चाहिए।
निष्कर्ष:
वृक्ष जीवन का आधार हैं। वृक्षारोपण द्वारा ही हम स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य बना सकते हैं।
(iii) मेरा प्रिय कवि
परिचय:
हिंदी साहित्य में अनेक कवि हुए हैं, परन्तु मुझे महाकवि तुलसीदास सबसे अधिक प्रिय हैं। उनका साहित्य जीवन को दिशा देने वाला है।
जीवन–परिचय:
तुलसीदास जी का जन्म 16वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने अपना जीवन भगवान राम की भक्ति और लोक–कल्याण में लगाया।
साहित्यिक योगदान:
उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना 'रामचरितमानस' है, जिसे जन–जन का ग्रंथ माना जाता है। इसमें भगवान राम के जीवन, आदर्श और मर्यादा का सुंदर चित्रण है। उनकी अन्य रचनाओं में 'कवितावली', 'गीतावली', 'विनयपत्रिका' प्रमुख हैं।
निष्कर्ष:
तुलसीदास जी की कविताएँ हमें भक्ति, धर्म और नीति का मार्ग दिखाती हैं। यही कारण है कि वे मेरे प्रिय कवि हैं।
(iv) नारी सशक्तिकरण
परिचय:
नारी समाज का आधार है। बिना नारी के परिवार, समाज और राष्ट्र की कल्पना अधूरी है। इसलिए नारी का सशक्त होना अत्यंत आवश्यक है।
स्थिति:
पूर्व समय में नारी को केवल घर की चारदीवारी तक सीमित रखा गया। शिक्षा और समान अधिकारों से वंचित रखा गया। परिणामस्वरूप समाज असंतुलित और पिछड़ा हुआ रहा।
महत्व:
शिक्षा और रोजगार के माध्यम से आज नारी सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। राजनीति, साहित्य, विज्ञान, खेल—हर क्षेत्र में नारी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही है।
उपाय:
नारी को शिक्षा, समान अधिकार, सुरक्षा और सम्मान प्रदान करना ही सशक्तिकरण का सही मार्ग है। समाज में पुरानी कुरीतियों को समाप्त करना होगा।
निष्कर्ष:
नारी सशक्तिकरण से ही राष्ट्र सशक्त होगा। शिक्षित और सशक्त नारी ही समाज को नई दिशा दे सकती है।