Question:

नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन को पाठ में खुले मैदान में दौड़ने, कूदने और कुलाँचें भरने के समान क्यों कहा गया है ?

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नए विषयों पर लेखन में कल्पना और ताजगी का संतुलन आवश्यक होता है।
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Solution and Explanation

नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन, एक रचनात्मक स्वतंत्रता का अनुभव कराता है। जब लेखक ऐसे विषय पर लिखता है जिसे पूर्वनिर्धारित सीमाओं में बाँधा नहीं गया हो, तो वह अपनी कल्पना, भावनाओं और अनुभवों को पूरी तरह से मुक्त रूप में व्यक्त कर सकता है।
यह बिल्कुल वैसा है जैसे कोई व्यक्ति हरे-भरे मैदान में दौड़ता, कूदता, कुलाँचें भरता हुआ स्वयं को उन्मुक्त अनुभव करता है।
नए विषयों पर लेखन में लेखक किसी ढाँचे या पारंपरिक अनुशासन से बँधा नहीं होता। उसे विषय का कोण, भाषा-शैली, और संरचना स्वयं तय करनी होती है।
यह प्रक्रिया रचनात्मकता, जोखिम और आत्म-विश्वास की माँग करती है — जो लेखन को चुनौतीपूर्ण और आनंददायक बनाती है।
इसलिए लेखन की यह प्रक्रिया लेखक को बौद्धिक स्वतंत्रता और आत्म-अभिव्यक्ति का अपूर्व अवसर प्रदान करती है।
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