Question:

‘नयन न तिरिपत भेल’ के आधार पर विद्यापति की नायिका की मनोदशा स्पष्ट कीजिए। 
 

Show Hint

विद्यापति की नायिका शारीरिक सौंदर्य नहीं, आत्मिक प्रेम का प्रतीक है — उसकी पीड़ा, उसका तप बन जाती है।
Updated On: Jul 24, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

‘नयन न तिरिपत भेल’ विद्यापति की एक प्रसिद्ध पदावली है जिसमें विरहिणी नायिका की उत्कट भावनाएँ दर्शाई गई हैं। यह पद मैथिली साहित्य में श्रंगार रस की पराकाष्ठा मानी जाती है।
नायिका कहती है कि उसके नेत्र कृष्ण के दर्शन से तृप्त नहीं हो पाए हैं। उसका चित्त अशांत है, और उसे अब सांसारिक कार्यों में रुचि नहीं रही। वह हर क्षण प्रिय के साक्षात्कार की कामना में व्याकुल है।
मनोरचना:
- वह अत्यंत भावुक और समर्पित है।
- उसकी पीड़ा आत्मा तक उतर जाती है।
- वह केवल शारीरिक नहीं, आत्मिक मिलन की आकांक्षा करती है।
- उसके लिए कृष्ण केवल प्रेमी नहीं, उसकी चेतना के केंद्र हैं।
विद्यापति की नायिका व्यक्तिगत होकर भी सार्वजनीन बन जाती है। वह प्रत्येक विरहिणी स्त्री की प्रतीक है जो प्रेम में पूर्ण समर्पण और अधूरी तृप्ति के द्वंद्व से गुजरती है।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on कविता

View More Questions

CBSE CLASS XII Notification