चरण 1: मुस्लिम विवाह की प्रकृति। 
मुस्लिम विवाह (निकाह) नागरिक अनुबंध माना जाता है—सम्मति, मेहर, दो गवाह, इजाब–क़बूल, इद्दत आदि इसके आधार हैं। विधि का स्रोत कुरआन, हदीस, इज्मा, कियास है। 
चरण 2: प्रभाव/परंपरा का सवाल समझें। 
यद्यपि निकाह इस्लामी शरीयत से शासित है, इसके कई अनुष्ठानात्मक रूप (मेहर, वली/अभिभावक की भूमिका, बहुविवाह की अनुमति, तलाक़ की कुछ विधियाँ आदि) ऐतिहासिक तौर पर प्राक्-इस्लामी अरबी सामाजिक-रीतियों से भी प्रभावित रहे। इसलिए विकल्पों में प्राचीन अरबी सबसे समीचीन है। 
चरण 3: अन्य विकल्प क्यों नहीं। 
हिन्दू, ईसाई या सिख विवाह अपने-अपने धार्मिक विधान/संस्कारों से संचालित होते हैं; मुस्लिम निकाह की बुनियाद उनकी व्यवस्था से भिन्न है।