Question:

महानगरीय जीवन में मनुष्य प्रकृति से दूर हो गया है — इस बात को 'वसंत आया' कविता किस प्रकार रेखांकित करती है?

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वातावरणीय चित्रण और प्रतीकों के माध्यम से कविता के भाव को समझें — खासकर शहरी जीवन बनाम प्रकृति के संदर्भ में।
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Solution and Explanation

'वसंत आया' कविता में कवि ने दिखाया है कि महानगरीय जीवन में वसंत के आगमन का कोई उत्साह नहीं है। मनुष्य प्रकृति से इतना कट चुका है कि उसे ऋतुओं के सौंदर्य और बदलाव का अनुभव ही नहीं होता। कविता में वसंत आता है, परंतु:
वृक्षों पर फूल नहीं, धुएँ की राख है — यह पर्यावरणीय क्षरण का प्रतीक है।
पंछी चहचहाते नहीं, साइरन और हॉर्न गूँजते हैं — शहरी शोरगुल का संकेत।
मनुष्य व्यस्त है, मशीनों में डूबा है — जिससे वह ऋतु परिवर्तन को भी महसूस नहीं करता।
इस प्रकार कविता यह दर्शाती है कि प्रकृति की सुंदरता और ऋतु-चक्र की कोमलता से महानगरीय मनुष्य का संबंध धीरे-धीरे टूटता जा रहा है।
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