Question:

लेखक का जीवन परिचय देते हुए उनकी एक प्रमुख रचना का उल्लेख कीजिए : महाकवि सूरदास 
 

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सूरदास का जीवन-परिचय लिखते समय उन्हें 'वात्सल्य रस का सम्राट' और 'अष्टछाप का जहाज' जैसी उपाधियों का उल्लेख अवश्य करें। यह उनके महत्व को दर्शाता है।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

जीवन-परिचय:
हिन्दी साहित्य के कृष्ण-भक्ति काव्य-धारा के श्रेष्ठतम कवि सूरदास जी का जन्म सन् 1478 ई. में आगरा के निकट रुनकता नामक ग्राम में हुआ था। कुछ विद्वान् इनका जन्म-स्थान दिल्ली के निकट सीही ग्राम को मानते हैं। इनके पिता का नाम रामदास सारस्वत था। इनके जन्मांध होने के विषय में भी विद्वानों में मतभेद है। ये बचपन से ही विरक्त हो गए थे और गऊघाट पर विनय के पद गाया करते थे। एक बार वल्लभाचार्य से भेंट होने पर उन्होंने इन्हें कृष्ण-लीला का गान करने का सुझाव दिया। तभी से ये वल्लभाचार्य के शिष्य बन गए और श्रीनाथजी के मन्दिर में कीर्तन करने लगे। 'अष्टछाप' के कवियों में इनका स्थान सर्वोपरि है। सन् 1583 ई. में पारसौली नामक स्थान पर इनका देहावसान हो गया। साहित्यिक योगदान:
सूरदास जी ने कृष्ण की बाल-लीलाओं और प्रेम-लीलाओं का इतना मनोहारी वर्णन किया है कि वह विश्व-साहित्य में अद्वितीय है। वात्सल्य और शृंगार रस के वे सम्राट माने जाते हैं। उनकी भाषा शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा है। प्रमुख रचना:
सूरसागर - यह सूरदास जी की कीर्ति का आधार-स्तम्भ है। इसके अतिरिक्त सूरसारावली तथा साहित्य-लहरी भी इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
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