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लेखक का जीवन परिचय देते हुए उनकी भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए: ( अधिकतम शब्द सीमा 80 शब्द ) जैनेन्द्र कुमार का जीवन परिचय एवं भाषा-शैली।

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जैनेन्द्र कुमार ने हिंदी कथा-साहित्य में मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति को जन्म दिया। उनकी भाषा सरल, सहज और गहन विचारों से परिपूर्ण थी।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

जैनेन्द्र कुमार का जन्म 1905 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में हुआ था। वे हिंदी साहित्य में मनोवैज्ञानिक कथा-शैली के प्रमुख रचनाकार थे। उन्होंने हिंदी उपन्यासों में एक नई धारा का प्रवाह किया, जिसमें पात्रों की आंतरिक मनःस्थिति का सूक्ष्म विश्लेषण प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया गया। वे गाँधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे और उनकी रचनाएँ मानव मन के गहरे पहलुओं को उजागर करती हैं। उनकी भाषा सहज, भावनात्मक और विचारप्रधान थी। उन्होंने हिंदी साहित्य में नई कहानियों की प्रवृत्ति को जन्म दिया, जिसमें आदर्शवाद, आत्मविश्लेषण और व्यक्तित्व के अंतर्द्वंद्व का विशेष महत्व था। उनकी शैली अत्यंत संवेदनशील थी और उनके पात्र जीवन के यथार्थ को दर्शाते थे। उनकी प्रमुख रचनाओं में 'त्यागपत्र', 'सुनीता', 'परख', और 'सुखदा' शामिल हैं। उनके उपन्यास और कहानियाँ समाज में संवेदनशीलता और आत्मविश्लेषण को बढ़ावा देने के लिए लिखी गई थीं। वे केवल बाह्य घटनाओं का चित्रण नहीं करते थे, बल्कि पात्रों के मनोभावों का गहन अध्ययन भी प्रस्तुत करते थे। हिंदी साहित्य में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।
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