Question:

‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ प्रसंग ईश्वरीय राम का पूरी तरह से मानवीकरण है। सिद्ध कीजिए।

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ऐसे प्रसंग में ईश्वर के साथ मानवीय भावनाओं को जोड़ना जरूरी होता है।
Updated On: Jul 31, 2025
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Solution and Explanation

‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ प्रसंग तुलसीदास द्वारा वर्णित रामचरितमानस का अत्यंत भावनात्मक अंश है।
इसमें भगवान राम, जो मर्यादा पुरुषोत्तम और ईश्वर का अवतार माने जाते हैं, अपने भाई लक्ष्मण की मूर्छा देखकर असहाय और दुःखी हो उठते हैं।
राम का विलाप, अश्रुपात, ह्रदय की पीड़ा — ये सब दर्शाते हैं कि वे ईश्वर होकर भी मानवोचित भावनाओं से परिपूर्ण हैं।
उनकी चिंता, हनुमान से विनती और भाई के लिए छटपटाहट — यह स्पष्ट करते हैं कि वे केवल ईश्वर नहीं, बल्कि एक आदर्श भाई, पुत्र और मानव हैं।
तुलसीदास ने इस प्रसंग के माध्यम से राम के मानवीकरण को इस तरह चित्रित किया है कि पाठक राम को अपने जैसा मानवीय और निकट अनुभव करता है।
अतः यह प्रसंग राम को पूर्ण रूप से मानव बनाकर उनके चरित्र को करुणा और संवेदना से भर देता है।
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