Question:

‘लाखों-करोड़ों कोस दूर के तेज पिंडों’ का उदाहरण ‘देने चल लो’ पाठ में किस उद्देश्य से दिया गया है? स्पष्ट कीजिए। 
 

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जब वैज्ञानिक उपलब्धियाँ और सामाजिक असंवेदनशीलता के बीच विरोधाभास हो, तो लेखक का उद्देश्य हमेशा आत्म-चिंतन कराना होता है।
Updated On: July 22, 2025
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Solution and Explanation

‘देने चल लो’ पाठ में लेखक विज्ञान की अद्भुत उपलब्धियों की तुलना समाज के यथार्थ से करता है।
‘लाखों-करोड़ों कोस दूर के तेज पिंडों’ का उदाहरण वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है — जैसे अंतरिक्ष अन्वेषण, ब्रह्मांड रहस्य की खोज।
यह दिखाता है कि हम लाखों किलोमीटर दूर के ग्रहों की गति, ताप और प्रकृति का पता लगा सकते हैं,
परंतु दुर्भाग्यवश हम अपने आस-पास के मनुष्यों की पीड़ा, सामाजिक विषमताएँ और संघर्ष नहीं समझ पाते।
यह उदाहरण एक प्रकार का व्यंग्य भी है — कि जहाँ एक ओर मनुष्य चंद्रमा तक पहुँच गया, वहीं उसकी चेतना
मानव-मानव के बीच दूरी को मिटाने में विफल रही है।
लेखक यही प्रश्न उठाता है कि ज्ञान की इतनी ऊँचाइयों के बावजूद, समाज की ज़मीन इतनी खोखली क्यों है?
इसलिए यह उदाहरण सामाजिक चेतना और आत्ममंथन के लिए प्रयुक्त हुआ है।
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