Question:

निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए: 
कुसुमित कानन हेरि कमलमुखि, 
मूँदि रह्यौ दु नयना। 
कोकिल-कलरव, मधुकर-धुनि सुनि, 
कर देइ झाँकि कहा। 
माधव, सुन-सुन बचन हमारा। 
तुझ गुण सुंदर अति भेलि दुआरी— 
गुनि-गुनि प्रेम तोहारा।। 
धरनी धरि धनि कत बेर बइसहिं, 
पुनि तहि उठि न पारा।। 
 

Show Hint

रीतिकालीन कविता में भावनात्मक गहराई को पहचानिए — यहाँ प्रतीकात्मक भाषा जैसे 'कमलमुखि', 'मधुकर धुनि', 'धरनी धरि' का प्रयोग प्रेम की गंभीरता व्यक्त करने के लिए किया गया है।
Updated On: Jul 18, 2025
Hide Solution
collegedunia
Verified By Collegedunia

Solution and Explanation

संदर्भ:
प्रस्तुत पद्यांश रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि विद्यापति द्वारा रचित राधा-कृष्ण प्रेम के अनुपम चित्रण का उदाहरण है।
इस पद्य में राधा की कोमल भावनाएँ, प्रेम में तन्मयता और कृष्ण के प्रति अनुराग की गहन अनुभूति व्यक्त हुई है।
प्रसंग:
यह पद्य उस क्षण का चित्रण करता है जब राधा कृष्ण की अनुपस्थिति में उनके गुणों और प्रेम की स्मृतियों में इतनी तल्लीन हो जाती हैं
कि उन्हें संसार के अन्य सभी सुख-प्रसंग तुच्छ लगने लगते हैं। उनके हृदय में विरह की व्यथा है और साथ ही माधव (कृष्ण) के प्रति अद्भुत आकर्षण और समर्पण।
व्याख्या:
कवि कहते हैं कि राधा एक मनोहर वसंत ऋतु में पुष्पित काननों को देख रही हैं, फिर भी उनके कमल जैसे नेत्र बंद हैं।
यह संकेत करता है कि बाहरी सौंदर्य भी राधा को आकर्षित नहीं कर रहा, क्योंकि उनका मन माधव में ही रमा हुआ है।
कोयल की मधुर कुहू-कुहू ध्वनि और भ्रमरों की गूँज भी उन्हें किसी प्रकार का आकर्षण नहीं दे पाती।
वह केवल क्षणभर नेत्र खोलकर माधव की कल्पना करती हैं और उन्हें पुकारती हैं — “माधव, सुनो हमारे मन की बात।”
राधा कहती हैं कि वह कृष्ण के गुणों और सुंदरता से इतनी अधिक प्रभावित हैं कि जैसे उनका जीवन द्वार पर ही ठहर गया हो।
राधा कृष्ण के प्रेम को बार-बार स्मरण करती हैं — “गुनि-गुनि प्रेम तोहारा।”
राधा कहती हैं कि उन्होंने न जाने कितनी बार स्वयं को संभाला है, धरती पर बैठी हैं,
लेकिन हर बार कृष्ण की स्मृति में इतना खो जाती हैं कि दोबारा उठ नहीं पातीं — यह उनकी प्रेम-तन्मयता का चरम है।
निष्कर्ष:
यह पद्य राधा-कृष्ण के दिव्य और आध्यात्मिक प्रेम की चरम सीमा का चित्रण है।
यह भौतिक आकर्षण नहीं, बल्कि हृदय की ऐसी गहराई है जहाँ प्रेम में एकत्व की अनुभूति होती है।
राधा की भक्ति, विरह और कृष्ण के प्रति उनकी समर्पित चेतना — तीनों इस पद्य में समाहित हैं।
यह रचना न केवल श्रृंगार रस का उदाहरण है, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रेमानुभूति का प्रतीक भी है।
Was this answer helpful?
0
0

Top Questions on काव्यांश पर आधारित प्रश्न

View More Questions