चरण 1: सिद्धान्त की पहचान।
बुद्धिवादी/रैशनलिस्ट दार्शनिक (जैसे देकार्त, स्पिनोज़ा, लाइबनिज) मानते हैं कि कुछ जन्मजात प्रत्यय अथवा a priori रूप पहले से ही मन में निहित होते हैं। इसलिए यथार्थ ज्ञान का मूल स्रोत बुद्धि है; अनुभव मात्र उत्प्रेरक या सामग्री देता है। देकार्त ईश्वर/स्व/गणित के विचारों को, और लाइबनिज शिरा-युक्त संगमरमर की उपमा से जन्मजात प्रवृत्तियों को समझाते हैं।
चरण 2: प्रतिपक्ष क्या कहता है?
अनुभववादी (लॉक, ह्यूम आदि) जन्मजात प्रत्ययों का निराकरण करते हैं—मन को कोरी पट्टी मानते हुए समस्त ज्ञान को इन्द्रिय-अनुभव से उत्पन्न बताते हैं। अतः विकल्प (1) गलत है; (3) दोनों कहना भी असंगत है क्योंकि दोनों परम्पराओं के मत विरोधी हैं।
चरण 3: निष्कर्ष।
प्रश्न में "जन्मजात प्रत्यय से ज्ञान" की बात है—यह बुद्धिवादियों का प्रतिपादन है; इसलिए सही उत्तर (2)।