चरण 1: कथन की कुंजी।
"सार्वभौम (universal), अनिवार्य (necessary) तथा नवीन/विस्तारक (ampliative)"—यह त्रयी कांट के सिंथेटिक ए प्रायरी (synthetic a priori) ज्ञान की पहचान है। कांट के अनुसार शुद्ध अनुभव (ए पोस्टिरियोरी) सार्वभौमिक/अनिवार्य नहीं बनाता और केवल विश्लेषणात्मक a priori निर्णय ज्ञान में नई वृद्धि नहीं करते।
चरण 2: कांट का समाधान।
ज्ञान के लिए हमें ऐसे निर्णय चाहिए जो—(i) ए प्रायरी होने से सार्वभौम व अनिवार्य हों (स्थान–काल और बुद्धि-श्रेणियों की देन), और (ii) सिंथेटिक होने से वास्तविकता के बारे में नया जोड़ें—जैसे "हर घटना का कारण है", "7+5=12" आदि। यही विज्ञान/गणित की वैधता का आधार है।
चरण 3: अन्य विकल्प क्यों नहीं?
डेसकार्त "स्पष्ट एवं विशद" निरपेक्षता पर बल देते हैं; लॉक अनुभववादी हैं, सार्वभौमिक-आवश्यकता को नहीं साधते; ह्यूम कारण-आवश्यकता पर संदेह करते हैं। अतः उपयुक्त उत्तर कांट।