चरण 1: आगमनात्मक विधि की संकल्पना।
आगमन वह तर्क-विधि है जिसमें विशेष/अनुभवजन्य तथ्यों से सामान्य नियम स्थापित किए जाते हैं—पुनरावृत्त निरीक्षण, तुलनात्मक अध्ययन और सह-अवस्थिति के आधार पर निष्कर्ष तक पहुँचना (जैसे अनेक धातुओं के प्रसारण को देखकर ''उष्णता से धातु फैलती है'')।
चरण 2: अनुभववाद का मत।
अनुभववाद (Locke, Hume, Bacon, Mill) मानता है कि ज्ञान का मूल स्रोत इन्द्रिय-अनुभव है; विज्ञान का विकास आगमन पर टिका है। मिल ने तो कारण-निर्धारण के आगमन-नियम (समझौता, भिन्नता, सह-अवस्थिति, अवशेष, समन्याय) भी दिए। अतः "ज्ञान की प्राप्ति आगमनात्मक विधि से"—यह अनुभववाद का केंद्रीय कथन है।
चरण 3: अन्य विकल्प क्यों नहीं?
बुद्धिवाद ज्ञान का मूल विवेक/बुद्धि और प्रायः न्ययनिर्णय/न्यास को मानता है; समीक्षावाद (कांट) अनुभव और बुद्धि का आलोचनात्मक संश्लेषण देता है; वस्तुवाद सत्ता-संबंधी मत है, ज्ञान-पद्धति नहीं। इसलिए उपयुक्त उत्तर अनुभववाद।