Comprehension

कथा मनु ने, नम धरणी भीष।
बना जीवन रहस्य, निरुपाय।
एक उल्लास-सा जलता भ्रांत।
शून्य में फिरता हूँ असहाय।
कौन हो तुम वसंत के दूत।
विरस पत्तझड़ में अति सुकुमार।
धन तिमिर में चपला की रेख।
तपन में शीतल मंद बयार।

Question: 1

प्रस्तुत पद्यांश के पाठ एवं कवि का नाम लिखिए।

Updated On: Nov 10, 2025
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यह पद्यांश 'वसंत गीत' से लिया गया है। इसके रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं, जिन्होंने वसंत ऋतु की सुंदरता और गहराई को व्यक्त किया है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

Updated On: Nov 10, 2025
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रेखांकित अंश वसंत के प्रभाव को दर्शाता है, जिसमें सौंदर्य, सौम्यता और नई ऊर्जा का प्रतीकात्मक वर्णन किया गया है।
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Question: 3

मनु किससे अपने जीवन के विषय में बता रहे हैं?

Updated On: Nov 10, 2025
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मनु अपने जीवन के रहस्य और उसके कठिन अनुभवों को वसंत के दूत से व्यक्त कर रहे हैं, जो जीवन में नई ऊर्जा और सौंदर्य का प्रतीक है।
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Question: 4

मनु अपने आपको क्यों असहाय महसूस करते हैं?

Updated On: Nov 10, 2025
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मनु जीवन की जटिलताओं और असमंजस में हैं, जिसके कारण वे असहर्ष और चिंतित महसूस कर रहे हैं।
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Question: 5

तिमिर और चपला शब्दों के अर्थ लिखिए।

Updated On: Nov 10, 2025
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'तिमिर' का अर्थ है अंधकार और अज्ञात स्थिति, जबकि 'चपला' का अर्थ है चंचलता और हड़बड़ी।
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