Question:

'करुण रस' का स्थायी भाव है: 
 

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हर रस का एक स्थायी भाव होता है जो उसके मूल भाव को प्रकट करता है, जैसे 'करुण रस' का स्थायी भाव 'शोक'।
Updated On: Oct 28, 2025
  • रति
  • शोक
  • हास
  • निर्वेद
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The Correct Option is B

Solution and Explanation

Step 1: संदर्भ.
रस का स्थायी भाव वह भाव होता है जो किसी रस को उत्पन्न करता है। 'करुण रस' का स्थायी भाव 'शोक' है, जो दुख या करुणा की स्थिति में उत्पन्न होता है।

Step 2: विवरण.
'करुण रस' तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति किसी के दुख, मृत्यु या कष्ट से भाव-विभोर होता है। इस रस में दया, संवेदना और करुणा का भाव प्रमुख रहता है।

Step 3: विकल्पों का विश्लेषण.
(A) रति: 'शृंगार रस' का स्थायी भाव है।
(B) शोक: सही, यह 'करुण रस' का स्थायी भाव है।
(C) हास: 'हास्य रस' का स्थायी भाव है।
(D) निर्वेद: 'शांत रस' का स्थायी भाव है।

Step 4: निष्कर्ष.
सही उत्तर है (B) शोक

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