कर्मनाशा की हार कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।
कर्मनाशा की हार - प्रमुख पात्र का चरित्र चित्रण:
'कर्मनाशा की हार' कहानी में प्रमुख पात्र एक ऐसे व्यक्ति का चित्रण है जो अपने जीवन में असफलताओं का सामना कर रहा है। वह समाज और अपने परिवार से हार के बावजूद एक नई उम्मीद की तलाश करता है। उसका संघर्ष यह दर्शाता है कि जीवन में किसी भी स्थिति में हार मानना नहीं चाहिए। उसकी पात्रता में आत्मसंघर्ष, विश्वास और आशावाद की गहरी भावना है, जो उसे जीवन की कठिनाइयों से जूझने की ताकत देती है।
इस पात्र की असफलता उसे कमजोर नहीं बनाती, बल्कि यह उसे और मजबूत करती है। यह पात्र जीवन के संघर्षों को आत्मसात करता है और यह संदेश देता है कि आत्मविश्वास और संघर्ष ही जीवन के सच्चे नायक होते हैं।
“सूक होइ बायस, पयउ चढ़त गिरि बर गहन।
जानु कृपानी सो दयालु, द्रवह सकल कबि मत कहन।”
उपयुक्त पंक्तियों में कौन-सा छंद है?
निम्नलिखित में से शब्दालंकार का भेद नहीं है –
(A) अनुप्रास
(B) श्लेष
(C) उत्प्रेक्षा
(D) रूपक
(E) उत्क्रम
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
सूची-I को सूची-II से संबद्ध कीजिए :
| सूची-I (रस) | सूची-II (स्थायी भाव) |
|---|---|
| (A) रौद्र | (II) क्रोध |
| (B) वीर | (I) उत्साह |
| (C) भयानक | (IV) भय |
| (D) शान्त | (III) शंका |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
“वीर तुम बढ़े चलो, वीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो कि सिंह की गर्जना हो।”
उपयुक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
सूची-I को सूची-II से संबद्ध कीजिए :
| सूची-I (लेखक) | सूची-II (रचना) |
|---|---|
| (A) जयशंकर प्रसाद | (III) कामायनी |
| (B) सुमित्रानंदन पंत | (IV) उच्छवास |
| (C) महादेवी वर्मा | (I) यामा |
| (D) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | (II) राम की शक्ति पूजा |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :