Question:

‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक ने कौन-से मेघों के उमड़ने-गरजने और बरसने की बात कही है और उनके बरसने पर भी गगरी फूटी और बैल पियासे क्यों रह जाते हैं?

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प्रतीकात्मक भाषा को समझते समय मूल भाव के साथ-साथ उसमें छिपे सामाजिक कटाक्ष को भी पकड़ना आवश्यक होता है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक ने प्रतीकात्मक रूप से मेघों के उमड़ने और गरजने को **राजनीतिक घोषणाओं, वादों और योजनाओं** के रूप में प्रस्तुत किया है। यह मेघ केवल गरजते हैं, जनमानस को आश्वासन देते हैं लेकिन जब असल बरसात यानी परिणामों की बात आती है, तो वह सूखे ही रह जाते हैं।
यहाँ "गगरी फूटी" और "बैल प्यासे रह गए" का अर्थ यह है कि योजनाओं के लागू होने के बाद भी आम जनता को उनका वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता। योजनाएँ कागज़ों में होती हैं, प्रचार में होती हैं, पर जमीनी सच्चाई यह होती है कि उनकी गुणवत्ता और पहुँच नगण्य होती है।
इस प्रकार लेखक व्यवस्था की उस विफलता को इंगित करता है जहाँ साधन और संसाधन होने के बावजूद जन-कल्याण नहीं हो पाता।
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