Step 1: Understanding the Concept: यह प्रश्न जैन धर्म के नैतिक आचार संहिता के मूल, विशेष रूप से जैन भिक्षुओं और भिक्षुणियों द्वारा पालन किए जाने वाले पाँच महान व्रतों के बारे में है।
Step 2: Detailed Explanation: जैन धर्म में 'पंच महाव्रत' वे पाँच कठोर व्रत हैं जिनका पालन जैन साधु-संतों को मोक्ष प्राप्ति के लिए करना होता है। ये निम्नलिखित हैं:
- अहिंसा (Ahimsa): किसी भी जीव को मन, वचन या कर्म से कष्ट न पहुँचाना।
- सत्य (Satya): हमेशा सत्य बोलना।
- अस्तेय (Asteya): चोरी न करना, अर्थात् किसी की भी कोई वस्तु बिना उसकी अनुमति के न लेना।
- ब्रह्मचर्य (Brahmacharya): सभी प्रकार की यौन गतिविधियों और इंद्रिय सुखों का त्याग करना।
- अपरिग्रह (Aparigraha): संपत्ति और सांसारिक वस्तुओं का संग्रह न करना और उनसे मोह न रखना।
इनमें से पहले चार व्रत पार्श्वनाथ द्वारा दिए गए थे, और पाँचवाँ व्रत 'ब्रह्मचर्य' महावीर स्वामी द्वारा जोड़ा गया था।
Step 3: Final Answer: जैन धर्म में पंच महाव्रत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह हैं।