Step 1: Understanding the Concept:
यह प्रश्न 'दृश्' (देखना) धातु में 'तव्यत्' प्रत्यय जोड़ने से बनने वाले शब्द के बारे में है। 'तव्यत्' प्रत्यय 'चाहिए' या 'योग्य' के अर्थ में प्रयोग होता है।
Step 2: Key Formula or Approach:
जब 'दृश्' धातु में 'तव्यत्' या 'तृच्' जैसे प्रत्यय जुड़ते हैं, तो कुछ ध्वन्यात्मक परिवर्तन होते हैं:
धातु के 'ऋ' का गुण होकर 'अर्' हो जाता है, और फिर वृद्धि होकर 'आर्' होता है। यहाँ 'दृश्' के 'ऋ' का गुण 'अर्' होता है, जिससे यह 'दर्श्' जैसा व्यवहार करता है।
प्रत्यय के 'त' का 'ष्टुत्व' संधि के नियम से 'ट' हो जाता है क्योंकि यह 'श्' के बाद आता है।
'श्' और 'त' मिलकर 'ष्ट' बन जाते हैं। धातु के 'ऋ' का 'र्' होता है जो 'श्' के ऊपर चला जाता है।
\[ दृश् + तव्यत् \rightarrow द्रष् + तव्यम् \rightarrow द्रष्टव्यम् \]
सही प्रक्रिया है: दृश् + तव्य → 'श' के कारण 'त' का 'ट' में परिवर्तन (ष्टुना ष्टुः सूत्र से), और धातु के 'ऋ' का 'र' में परिवर्तन होता है।
\[ दृश् + तव्यम् \rightarrow द्रष्टव्यम् \]
Step 3: Detailed Explanation:
'दृश्' धातु और 'तव्यत्' प्रत्यय को जोड़ने पर:
'दृश्' का 'श्' और 'तव्यत्' का 'त्' मिलकर 'ष्ट' बनाते हैं।
'दृ' का 'द्र' हो जाता है।
इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप सही शब्द 'द्रष्टव्यम्' बनता है, जिसका अर्थ है 'देखने योग्य' या 'देखना चाहिए'। अन्य विकल्प वर्तनी की दृष्टि से अशुद्ध हैं।
Step 4: Final Answer:
अतः, 'दृश् + तव्यत्' से 'द्रष्टव्यम्' शब्द बनता है।