इस शहर में धूल
धीरे-धीरे उड़ती है
धीरे-धीरे चलते हैं लोग
धीरे-धीरे बजते हैं घंटे
शाम धीरे-धीरे होती है
यह धीरे-धीरे होना
धीरे-धीरे होने की सामूहिक लय
दृढ़ता से बाँधे है सम्पूर्ण शहर को
इस तरह कि कुछ भी गिरता नहीं है
कि हिलता नहीं है कुछ भी
कि जो चीज़ जहाँ थी
वहीं पर रखी है
कि गंगा वहीं है
कि वहीं पर बँधी है नाव
कि वहीं पर रखी है तुलसीदास की खड़ाऊँ
सैनकों समय से
सोदाहरण स्पष्ट कीजिए कि ‘बनारस’ कविता, बनारस शहर के प्रति कवि के मोह की भी अभिव्यक्ति है।
‘सरोज स्मृति’ कविता में कवि ‘स्वर्गीया प्रिया’ को क्यों और किस रूप में याद कर रहा है ?
‘तोड़ो’ कविता का कवि किन झूठे बंधनों को तोड़ने की बात कर रहा है ? उसने धरती के प्रति कैसे भाव व्यक्त किए हैं ?
‘कविता-लेखन’ के संबंध में कौन-से दो मत मिलते हैं ? आप स्वयं को किस मत का समर्थक मानते हैं और क्यों ?
''तोड़ो'' कविता में विध्वंस की नहीं बल्कि सृजन की प्रेरणा दी गई है – सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।