Comprehension

इच्छाएँ नाना हैं और नाना विधि हैं और वे उसे प्रवृत्त रखती हैं| प्रवृत्ति से वह रह-रहकर थक जाता है और निवृत्ति चाहता है । यह प्रवृत्ति और निवृत्ति का चक्र उसको द्वन्द्व से थका मारता है । इस संसार को अभी राग-भाव से वह चाहता है कि अगले क्षण उतने ही भाव-विराग से वह उसका बिनाश चाहता है । पर राग-द्वेष की वासनाओं से अंत में झुंझलाहट और छटपटाहट ही उसे आती है।

Question: 1

उपर्युक्त गद्यांश के पाठ तथा उसके लेखक का नाम लिखिए।

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गद्यांश के लेखक और उनके विचार को समझने के लिए उनके साहित्यिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखें।
Updated On: Nov 15, 2025
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उपर्युक्त गद्यांश 'कठिनाई की अनुभूति' पाठ से लिया गया है, जिसके लेखक जयशंकर प्रसाद हैं। यह पाठ मानव जीवन के द्वन्द्व और मानसिक संघर्ष को दर्शाता है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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व्याख्या करते समय, किसी मानसिक संघर्ष या द्वन्द्व को समझने के लिए व्यक्ति की आंतरिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
Updated On: Nov 15, 2025
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रेखांकित अंश में लेखक ने मनुष्य के मानसिक द्वन्द्व को व्यक्त किया है। व्यक्ति अपनी इच्छाओं में नाना प्रकार की धारा में बहता है, जो उसे प्रवृत्त करती हैं। यह प्रवृत्ति उसे जीवन के प्रति सक्रिय रखती है, लेकिन इसी प्रवृत्ति के चलते वह थक जाता है। फिर वह निवृत्ति की कामना करता है। इस चक्र में वह लगातार राग और द्वेष के बीच उलझा रहता है, जिससे उसकी स्थिति में मानसिक झंझट और छटपटाहट उत्पन्न होती है।
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Question: 3

प्रवृत्ति-निवृत्ति के चक्र में फँसा मनुष्य क्यों थक जाता है?

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हमेशा मानसिक और शारीरिक शांति की आवश्यकता होती है, ताकि प्रवृत्ति के चक्र में उलझने के बजाय हम संतुलित जीवन जी सकें।
Updated On: Nov 15, 2025
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प्रवृत्ति-निवृत्ति के चक्र में फँसा मनुष्य इसलिए थक जाता है क्योंकि वह लगातार अपने राग और द्वेष के कारण इच्छाओं की पूर्ति में व्यस्त रहता है। यह चक्र उसे मानसिक रूप से उर्जा खर्च करने के अलावा संतुष्टि नहीं दे पाता, जिससे वह निरंतर थकान और तनाव महसूस करता है।
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Question: 4

प्रेम और ईर्ष्या की वासनाओं में पड़कर मनुष्य की स्थिति कैसी हो जाती है?

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प्रेम और ईर्ष्या दोनों ही भावनाएँ व्यक्ति के जीवन में गहरे प्रभाव डालती हैं, इसलिए हमें इन्हें संतुलित और समझदारी से संभालना चाहिए।
Updated On: Nov 15, 2025
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प्रेम और ईर्ष्या की वासनाओं में पड़कर मनुष्य की स्थिति अस्थिर हो जाती है। प्रेम उसे एक सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है, लेकिन ईर्ष्या उसे अंदर से खाता है और मानसिक अशांति का कारण बनती है। यह दोनों वासनाएँ मिलकर उसे मानसिक संघर्ष, झंझट और छटपटाहट में डाल देती हैं।
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Question: 5

कौन-सा द्वन्द्व व्यक्ति को थका देता है?

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व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए राग-द्वेष से उबरकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
Updated On: Nov 15, 2025
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Solution and Explanation

राग और द्वेष के द्वन्द्व से मनुष्य थक जाता है। जब वह अपनी इच्छाओं और संवेदनाओं के कारण दोनों पक्षों में उलझता है—प्रवृत्ति से निवृत्ति की ओर और प्रेम से ईर्ष्या की ओर—तब यह द्वन्द्व उसे मानसिक थकान में डाल देता है।
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