Comprehension

हमारी सम्पूर्ण व्यवस्था का केन्द्र मानव होना चाहिए जो 'यत् पिण्डे तद् ब्रह्मांडे' के न्याय के अनुसार समष्टि का जीवमान प्रतिनिधि एवं उसका उपकरण है । भौतिक उपकरण मानव के सुख के साधन हैं, साध्य नहीं । जिस व्यवस्था में भिन्नरुचिलोक का विचार केवल एक औसत मानव से अथवा शरीर-मन-बुद्धि- आत्मायुक्त अनेक एषणाओं से प्रेरित पुरुषार्थचतुष्टयशील, पूर्ण मानव के स्थान पर एकांगी मानव का ही विचार किया जाए, वह अधूरी है। हमारा आधार एकात्म मानव है जो अनेक एकात्म समष्टियों का एक साथ प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखता है । एकात्म मानववाद (Integral Humanism) के आधार पर हमें जीवन की सभी व्यवस्थाओं का विकास करना होगा ।

Question: 1

मानव के सुख के साधन क्या हैं ?

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मानव के सुख के साधन भौतिक वस्तुएं और संसाधन होते हैं, लेकिन ये कभी भी अंतिम उद्देश्य नहीं होते।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

मानव के सुख के साधन भौतिक उपकरण हैं, जो मानव के सुख को बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन ये साध्य नहीं हैं। ये केवल मानव के सुख का माध्यम हैं, जो जीवन की समग्र खुशी के लिए आवश्यक हैं।
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Question: 2

जीवन की सभी व्यवस्थाओं का विकास किस आधार पर करना चाहिए ?

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'एकात्म मानववाद' का विचार समष्टि के पूरे तंत्र को समझने और उसके विकास को प्राथमिकता देने पर आधारित है।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

जीवन की सभी व्यवस्थाओं का विकास 'एकात्म मानववाद' के आधार पर करना चाहिए, जो यह मानता है कि एकात्म मानव हर समष्टि का प्रतिनिधित्व करता है और उसी के आधार पर हम समाज और जीवन की व्यवस्थाओं का विकास कर सकते हैं।
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Question: 3

समष्टि' तथा 'एषणा' शब्दों का अर्थ लिखिए।

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'समष्टि' समाज या समूह का विस्तृत दृष्टिकोण है, जबकि 'एषणा' व्यक्ति की आंतरिक इच्छाओं को व्यक्त करता है।
Updated On: Nov 14, 2025
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'समष्टि' शब्द का अर्थ है 'समूह' या 'कुल मिलाकर' किसी समाज या तंत्र का प्रतिनिधित्व करना। 'एषणा' का अर्थ है 'इच्छा' या 'आकांक्षा', जो किसी व्यक्ति के मन में उत्पन्न होने वाली भावनाओं को दर्शाती है।
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Question: 4

उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

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पं. दीनदयाल उपाध्याय ने 'एकात्म मानववाद' को समाज की समग्रता और संतुलन के लिए एक आधारभूत सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

उपर्युक्त गद्यांश का पाठ 'एकात्म मानववाद' है, और इसे पं. दीनदयाल उपाध्याय ने लिखा है। यह गद्यांश समाज और जीवन की व्यवस्थाओं के विकास के लिए एकात्म मानववाद के सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है।
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Question: 5

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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'एकात्म मानववाद' यह मानता है कि सभी मानव की स्थितियाँ और उनके सुख के साधन एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और समग्र दृष्टिकोण से ही जीवन की सही दिशा तय की जा सकती है।
Updated On: Nov 14, 2025
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Solution and Explanation

रेखांकित अंश में यह कहा गया है कि भौतिक उपकरण मानव के सुख के साधन होते हैं, न कि उद्देश्य। यदि हम केवल एकांगी दृष्टिकोण से मानव के विचार करें, तो वह अधूरा होगा। हमें एकात्म मानववाद के सिद्धांत पर जीवन की व्यवस्थाओं का विकास करना चाहिए, जिसमें हर समष्टि का सही प्रतिनिधित्व हो।
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