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'डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी' का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए:

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डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी का साहित्य भारतीय संस्कृति और साहित्य के गहरे अध्ययन पर आधारित था, जिससे उन्होंने आलोचना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कार्यप्रणाली ने साहित्य और आलोचना को एक नई दिशा दी।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म 1907 में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के महान आलोचक, संस्कृतज्ञ और साहित्यकार थे, जिनका कार्य भारतीय साहित्य, संस्कृति और दर्शन के गहरे अध्ययन पर आधारित था। डॉ. द्विवेदी का साहित्यिक दृष्टिकोण बहुत गहरा और चिंतनशील था। उन्होंने साहित्यिक आलोचना को न केवल काव्यशास्त्र और साहित्य के उच्च मानकों तक सीमित किया, बल्कि उसे भारतीय समाज, संस्कृति और दर्शन से भी जोड़ा। उनकी आलोचनाएँ और विचार भारतीय काव्यशास्त्र के विचारों को नया आयाम देने के रूप में माने जाते हैं। उन्होंने भारतीय साहित्य को पश्चिमी प्रभाव से अलग करते हुए एक स्वतंत्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनके आलोचनात्मक लेखन में समाज और संस्कृति के विश्लेषण की गहरी समझ थी। वे साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज के हर पहलू को उद्घाटित करते थे। डॉ. द्विवेदी का योगदान साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में अतुलनीय है, और उनके विचार आज भी साहित्यकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वे भारतीय संस्कृति और समाज के वास्तविक चित्रण के पक्षधर थे, और उनकी आलोचनाएँ साहित्यिक जगत में एक नई दिशा की ओर इशारा करती हैं।
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