Question:

दिये गये संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए :

संस्कृतसाहित्यस्य आदिकविः वाल्मीकिः, महर्षिव्यासः, कविकुलगुरुः कालिदासः अन्ये च भास-भारवि-भवभूत्यादयो महाकवयः स्वकीयैः ग्रन्थरत्नै अद्यापि पाठकानां हृदि विराजन्ते । इयं भाषा अस्माभिः मातृसमं सम्माननीया वन्दनीया च यतो भारतमातुः स्वातन्त्र्यं, गौरवम्, अखण्डत्वं सांस्कृतिकमेकत्वञ्च संस्कृते नैव सुरक्षितुं शक्यन्ते । इयं संस्कृतभाषा सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा श्रेष्ठा चास्ति । ततः सुष्ठुक्तम् 'भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती' इति ।

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संस्कृत भाषा न केवल एक प्राचीन भाषा है, बल्कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान का आधार भी है, जिसे हमें संरक्षित और प्रसारित करना चाहिए।
Updated On: Nov 7, 2025
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Solution and Explanation


सन्दर्भ: यह गद्यांश संस्कृत साहित्य और भाषा के महानता के बारे में है, विशेष रूप से इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में। 

हिन्दी अनुवाद: संस्कृत साहित्य के आदिकवि महर्षि वाल्मीकि, महर्षि व्यास, कविकुलगुरु कालिदास और अन्य महान कवि जैसे भास, भारवि, भवभूति अपनी रचनाओं के माध्यम से आज भी पाठकों के हृदय में विराजमान हैं। यह भाषा हमारी मातृभाषा के समान सम्माननीय और वंदनीय है क्योंकि भारत माता की स्वतंत्रता, गौरव, अखंडता और सांस्कृतिक एकता को केवल संस्कृत भाषा के माध्यम से ही सुरक्षित रखा जा सकता है। 

संस्कृत भाषा सभी भाषाओं में प्राचीनतम और श्रेष्ठतम मानी जाती है। अतः यह उचित ही कहा गया है कि 'भाषाओं में श्रेष्ठ, मधुर और दिव्य भाषा गीर्वाणभारती (संस्कृत) ही है।'

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