Question:

दिए गए संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए: 

एषा नगरी भारतीय संस्कृते। संस्कृत भाषायाः केन्द्र–स्थानीम् अस्ति। इतः एव संस्कृत वाङ्मयस्य, संस्कृतेः आलोकः सर्वत्र प्रसृतः। मग़ध–गुजरातः, द्वार–शिखरः; अयं भारतीय–दर्शन–शास्त्राणां अध्यात्मस्य अङ्कुरः। सः तेजसा ज्ञानेन च प्रभातितः। अम्बरात्, यत्र तेः उपनिषद्–अनुवादः पारसी भाषायाम् अपि कृतः। 
विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः। एक एव इति भारतीयः संस्कृतिः मन्यते। विभिन्न मतावलम्बिनां विधिः: नगानां; एकमेव एव ईश्वरं भजन्ति। अग्निः, इन्द्रः, कृष्णः, शिवः, रमाः, लक्ष्मीः, जगन्नाथः, शिवता–आदि:—इत्यान्ये\; नामानि एकस्य एव परमानन्दस्य: सकलं। तं एव ईश्वरम् जनाः: गुरुः इति मन्यन्ते। अतः सर्वेषां मतानां समभावः—समन्वयस्य उत्कृष्टं संस्कृतः संदेशः। 
 

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अनुवाद में पहले कर्त्ता–क्रिया–कर्म पहचानें, फिर समुच्चय/सम्बन्ध सूचक अव्ययों (एव, च, अपि) का अर्थ जोड़ें—भावार्थ स्वतः साफ़ होगा।
Updated On: Oct 11, 2025
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Solution and Explanation

(संदर्भ व विवेचन): 
गद्यांश–1:
Step 1: संदर्भ. गद्यांश किसी प्राचीन भारतीय नगर/पीठ की सांस्कृतिक महिमा और संस्कृत-केन्द्र के रूप में भूमिका बताता है। 
Step 2: भावार्थ. संस्कृत के केन्द्र होने से वाङ्मय का प्रसार हुआ; दर्शन-शास्त्र, अध्यात्म की दीप्ति यहाँ से अन्य प्रदेशों तक पहुँची; उपनिषदों का अनुवाद फ़ारसी में होना विचार-आदान-प्रदान का प्रमाण है। 
गद्यांश–2:
Step 1: संदर्भ. यह खण्ड भारतीय बहुलतावादी दृष्टि—एकत्व में निहित विविधता—को प्रतिपादित करता है। 
Step 2: भावार्थ. देवताओं के अनेक नाम एक ही सर्वोच्च सत्ता के प्रतीक हैं; अतः समन्वय/सहनशीलता भारतीय संस्कृति का मूल स्वभाव है। 
 

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