(i) तुलसीदास — जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान और प्रमुख रचना
जन्म और शिक्षा:
महाकवि तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 (सन् 1497 ई.) में उत्तर प्रदेश के राजापुर गाँव (चित्रकूट) में हुआ माना जाता है। उनका बचपन अत्यंत कष्टमय रहा। प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत और वेद–पुराणों की रही। वे बाद में काशी में स्थायी रूप से रहने लगे।
व्यक्तित्व और विशेषताएँ:
तुलसीदास रामभक्ति परम्परा के महान कवि थे। उन्होंने अपना जीवन भगवान राम के प्रचार–प्रसार में लगा दिया। उनकी भाषा अवधी और ब्रज थी, जो सहज, सरल और मधुर थी। वे कवि ही नहीं, समाज–सुधारक और आस्था के प्रतीक भी थे।
साहित्यिक योगदान:
उन्होंने भक्ति–काव्य के माध्यम से सम्पूर्ण हिंदी साहित्य को अमूल्य धरोहर दी। उनके काव्य में भक्ति, नीति, लोकमंगल और दर्शन का सुंदर समन्वय है।
प्रमुख रचना:
रामचरितमानस उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति है। इसमें भगवान राम के जीवन–चरित्र का काव्यात्मक चित्रण है। इसे 'मानस' नाम से भी जाना जाता है और यह हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है।
(ii) सुभद्राकुमारी चौहान — जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान और प्रमुख रचना
जन्म और शिक्षा:
सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ। उनका बचपन नारी–शिक्षा और राष्ट्रीयता से प्रभावित था। वे हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं।
व्यक्तित्व और विशेषताएँ:
सुभद्राजी का स्वभाव साहसी और देशप्रेम से ओत–प्रोत था। उनकी कविताओं में मातृभूमि के प्रति असीम भक्ति और स्वतंत्रता की आकांक्षा दिखाई देती है। वे गाँधीजी के आंदोलन से भी जुड़ीं और कई बार जेल गईं।
साहित्यिक योगदान:
उन्होंने छायावादीन कवयित्रियों में स्थान पाया, पर उनकी कविताओं में छायावाद के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति का सशक्त स्वर भी मिलता है।
प्रमुख रचना:
उनकी कविता "झाँसी की रानी" सबसे प्रसिद्ध है। इसमें रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य, साहस और बलिदान का वीरतापूर्ण चित्रण है—"खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी।" यह कविता देशभक्ति का अमर गीत बन चुकी है।
(iii) बिहारी — जीवन परिचय, साहित्यिक योगदान और प्रमुख रचना
जन्म और शिक्षा:
बिहारीलाल का जन्म सन् 1595 ई. में ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के पास बासुपुरा गाँव में हुआ। उन्होंने संस्कृत और ब्रजभाषा का गहरा अध्ययन किया।
व्यक्तित्व और विशेषताएँ:
बिहारी कवि–शिरोमणि थे। वे श्रृंगार रस के अद्भुत चित्रण के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका व्यक्तित्व गंभीर, संक्षिप्त और कलात्मक शैली का धनी था।
साहित्यिक योगदान:
बिहारीलाल ने संक्षिप्त दोहों के माध्यम से गहन भाव, दर्शन और श्रृंगार की अनुभूति कराई। उनके काव्य में नारी–सौंदर्य, प्रेम, नीति और जीवन–सत्य का अद्भुत चित्रण है।
प्रमुख रचना:
'बिहारी सतसई' उनकी अमर कृति है। इसमें लगभग 700 दोहे हैं जो अल्प शब्दों में गहन भावों का संचार करते हैं। इस रचना ने उन्हें अमरत्व प्रदान किया।