‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ में वर्णित ग्रामीण जीवन की झाँकी प्रस्तुत कीजिए।
‘डगा-डगा रोटी पग-पग नीर’ वाले मालवा की वर्तमान स्थिति ‘अपना मालवा खाऊ-उजाऊ सभ्यता में’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। स्थिति के कारणों को स्पष्ट करते हुए यह भी लिखिए कि इसे कैसे सुधारा जा सकता है?
‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ में लेखक ने धान के खेतों में काम करने वाली औरतों की तुलना किनके साथ की है? स्पष्ट करते हुए दोनों के बीच का अंतर लिखिए।
वरिष्ठ व्यक्तियों के प्रति हमारे कर्तव्य — लगभग 100 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए :
खेलों से प्रतिस्पर्धा की सच्ची भावना — लगभग 100 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए :
नाटक प्रतियोगिता में जब मैंने महिला पात्र का अभिनय किया — लगभग 100 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए :
If \[ A = \begin{bmatrix} 2 & -3 & 5 \\ 3 & 2 & -4 \\ 1 & 1 & -2 \end{bmatrix}, \] find \( A^{-1} \).
Using \( A^{-1} \), solve the following system of equations:
\[ \begin{aligned} 2x - 3y + 5z &= 11 \quad \text{(1)} \\ 3x + 2y - 4z &= -5 \quad \text{(2)} \\ x + y - 2z &= -3 \quad \text{(3)} \end{aligned} \]
‘सूरदास की झोंपड़ी’ से उद्धृत कथन “हम सो लाख बार घर बनाएँगे” के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक सोच का होना क्यों अनिवार्य है।
शिवालिक की सूखी नीसर पहाड़ियों पर मुस्कुराते हुए ये वृक्ष खड़ेताली हैं, अलमस्त हैं~।
मैं किसी का नाम नहीं जानता, कुल नहीं जानता, शील नहीं जानता पर लगता है,
ये जैसे मुझे अनादि काल से जानते हैं~।
इनमें से एक छोटा-सा, बहुत ही भोला पेड़ है, पत्ते छोटे भी हैं, बड़े भी हैं~।
फूलों से तो ऐसा लगता है कि कुछ पूछते रहते हैं~।
अनजाने की आदत है, मुस्कुराना जान पड़ता है~।
मन ही मन ऐसा लगता है कि क्या मुझे भी इन्हें पहचानता~?
पहचानता तो हूँ, अथवा वहम है~।
लगता है, बहुत बार देख चुका हूँ~।
पहचानता हूँ~।
उजाले के साथ, मुझे उसकी छाया पहचानती है~।
नाम भूल जाता हूँ~।
प्रायः भूल जाता हूँ~।
रूप देखकर सोच: पहचान जाता हूँ, नाम नहीं आता~।
पर नाम ऐसा है कि जब वह पेड़ के पहले ही हाज़िर हो ले जाए तब तक का रूप की पहचान अपूर्ण रह जाती है।