Question:

लेखक का जीवन परिचय देते हुए उनकी एक प्रमुख रचना का उल्लेख कीजिए : बिहारी लाल 
 

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बिहारी का जीवन-परिचय लिखते समय राजा जयसिंह वाले प्रसंग और "गागर में सागर" वाली उक्ति का उल्लेख अवश्य करें। यह उनके काव्य-कौशल को सिद्ध करता है।
Updated On: Nov 11, 2025
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Solution and Explanation

जीवन-परिचय:
रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि बिहारी लाल का जन्म सन् 1603 ई. के लगभग ग्वालियर के निकट बसुआ गोविन्दपुर ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम केशवराय था। इन्होंने अपना बचपन बुंदेलखण्ड में तथा युवावस्था अपनी ससुराल मथुरा में व्यतीत की। ये जयपुर के राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। कहा जाता है कि राजा जयसिंह अपनी नवविवाहिता पत्नी के प्रेम में इतने डूबे रहते थे कि राज-काज भूल गए थे। तब बिहारी ने एक दोहा लिखकर उन तक भेजा - "नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।" इस दोहे ने राजा पर गहरा प्रभाव डाला और वे पुनः अपने कर्तव्य-पथ पर अग्रसर हो गए। राजा जयसिंह बिहारी को प्रत्येक दोहे पर एक स्वर्ण-मुद्रा पुरस्कार देते थे। सन् 1663 ई. में इनका देहावसान हो गया। साहित्यिक योगदान:
बिहारी रीतिकाल की रीतिसिद्ध काव्य-धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। इन्होंने केवल एक ग्रन्थ की रचना करके हिन्दी साहित्य में अमर स्थान प्राप्त कर लिया। इनके दोहे 'गागर में सागर' भरने की उक्ति को चरितार्थ करते हैं। इन्होंने शृंगार, भक्ति और नीति से सम्बन्धित दोहे लिखे हैं। प्रमुख रचना:
बिहारी सतसई - यह इनकी एकमात्र रचना है, जिसमें लगभग 723 दोहे हैं। यह शृंगार रस का एक अप्रतिम ग्रन्थ है।
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