Comprehension

भाषा और संस्कृति पर आधारित गद्यांश
भाषा स्वयं संस्कृति का एक अटूट अंग है। संस्कृति परम्परा से निर्मित होने पर भी परिवर्तनशील और गतिशील है। उसकी गति विज्ञान की प्रगति के साथ जोड़ी जाती है। वैज्ञानिक अद्यतनों के प्रभाव के कारण उत्पन्न नई सांस्कृतिक हलचलों को शाब्दिक रूप देने के लिए भाषा के परम्परागत प्रयोग पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए नये प्रयोगों की, नयी भाव-भूमियों को व्यक्त करने के लिए नये शब्दों की खोज की महती आवश्यकता है।

Question: 1

पाठ का शीर्षक एवं लेखक का नाम लिखिए।

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भाषा और संस्कृति एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और परिवर्तनशील होते हैं।
Updated On: Nov 7, 2025
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शीर्षक: भाषा और संस्कृति
लेखक: अज्ञात (यदि लेखक दिया गया हो, तो उस अनुसार उत्तर बदलें)
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Question: 2

उल्लेखित अंश की व्याख्या कीजिए।

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भाषा और संस्कृति दोनों ही समय के साथ बदलती हैं, इसलिए नये प्रयोग और नए शब्दों की आवश्यकता होती है।
Updated On: Nov 7, 2025
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इस गद्यांश में बताया गया है कि भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति का एक अभिन्न अंग भी है। विज्ञान और तकनीकी प्रगति के साथ भाषा में भी नए शब्दों और शैलियों का समावेश आवश्यक होता है।
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Question: 3

नए शब्दों की खोज क्यों आवश्यक है?

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नई तकनीकों और अवधारणाओं के लिए भाषा में नए शब्दों का समावेश आवश्यक होता है।
Updated On: Nov 7, 2025
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नए वैज्ञानिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के कारण नई शब्दावली की आवश्यकता पड़ती है। पारंपरिक शब्दावली आधुनिक विज्ञान और समाज की जरूरतों को व्यक्त करने में सक्षम नहीं होती।
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Question: 4

संस्कृति का एक अटूट अंग क्या है?

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भाषा और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक होते हैं और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Updated On: Nov 7, 2025
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भाषा संस्कृति का एक अटूट अंग है। संस्कृति के बिना भाषा अधूरी होती है और भाषा के बिना संस्कृति का विकास नहीं हो सकता।
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Question: 5

किनके लिए भाषा के परंपरागत प्रयोग पर्याप्त नहीं हैं?

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विज्ञान और तकनीकी प्रगति के कारण भाषा में निरंतर विकास और बदलाव आवश्यक होता है।
Updated On: Nov 7, 2025
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विज्ञान, तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन के लिए भाषा के परंपरागत प्रयोग पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए नए शब्दों और नई अभिव्यक्तियों की खोज आवश्यक होती है।
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