Question:

‘बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से जैसे धुल गई हो’ — ‘उषा’ कविता से उद्धृत इस पंक्ति में किस सिल के और कौन-से केसर से धुलने की बात कही गई है? स्पष्ट कीजिए। 
 

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रूपकों और उपमाओं का विश्लेषण करते समय यह देखें कि प्रतीक किस वास्तविक स्थिति या अनुभव को दर्शा रहे हैं।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

‘उषा’ कविता में कवि ने प्रातःकाल की छवि को अत्यंत सुंदर और कल्पनाशील ढंग से प्रस्तुत किया है। यहाँ "बहुत काली सिल" से आशय है — रात का अंधकार। और "ज़रा से लाल केसर" से तात्पर्य है — उगते हुए सूरज की लालिमा, प्रातःकालीन सूर्योदय का हल्का लाल रंग।
यहाँ कवि ने यह कल्पना की है कि जैसे कोई बहुत काली सिल (पत्थर की पट्टी) थोड़े से केसर (रंग या मसाले) से रगड़ने पर साफ़ हो जाए, वैसे ही अंधेरी रात सुबह की पहली किरणों से मिट जाती है।
इस तुलना में न केवल दृश्य सौंदर्य है, बल्कि यह भी संकेत है कि हर अंधकार का अंत उजाले से संभव है। यह एक सकारात्मक, आशावादी दृष्टिकोण का प्रतीक है।
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