Question:

‘आत्मपरिचय’ कविता से उद्धृत पंक्ति “मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ” के संदर्भ में लिखिए कि संसार के प्रति कवि की इस विरक्ति का क्या कारण है ?

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विचारप्रधान कविताओं की व्याख्या करते समय भाव, संदर्भ और मूल दृष्टिकोण — तीनों का संतुलन ज़रूरी होता है।
Updated On: Jul 25, 2025
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Solution and Explanation

‘आत्मपरिचय’ कविता में कवि आत्मविश्लेषण करते हुए यह उद्घोष करता है कि वह कभी संसार का ध्यान नहीं करता।
यह कथन कवि की उस वैराग्यपूर्ण मनःस्थिति को दर्शाता है जहाँ वह संसार की चकाचौंध, लालच, और दिखावे से दूर स्वयं की आत्मा की ओर उन्मुख होता है।
कवि को लगता है कि समाज में छल-कपट, मिथ्याचार और बाह्य प्रदर्शन की प्रधानता है। ऐसे समाज से उसका मोहभंग हो चुका है।
वह आत्मसाक्षात्कार को अधिक महत्त्व देता है, इसलिए वह बाह्य जगत की ओर ध्यान नहीं देता।
कवि की यह विरक्ति दरअसल एक उच्चतर जीवन-मूल्य की ओर उसका रुझान और मानसिक स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति है।
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