Question:

निम्नलिखित संस्कृत गद्यांश का सन्दर्भ - सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए:
अतीते प्रथमकल्पे जनाः एकमभिरूपं सौभाग्य प्राप्तं सर्वाकारपरिपूर्णं पुरुषं राजानमकुर्वन् । चतुष्पदा १. अपि सन्निपत्य एकं सिंह राजानमकुर्वन् । ततः शकुनिगणाः हिमवत्-प्रदेशे एकस्मिन् पाषाणे सन्निपत्य ‘मनुष्येषु' राजा प्रज्ञायते तथा चतुष्पदेषु च । अस्माकं पुनरन्तरे राजा नास्ति । अराजको वासो नाम न वर्तते

Updated On: Nov 10, 2025
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Solution and Explanation

इस संस्कृत गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद इस प्रकार है: सन्दर्भ: यह गद्यांश एक काल्पनिक कहानी का वर्णन करता है, जहाँ राजा के बिना समाज का अस्तित्व और जीवन की परिस्थितियाँ जताई गई हैं। अनुवाद: "प्राचीन काल में लोग एक ऐसे राजा की पूजा करते थे, जो सौभाग्य और सम्पूर्णता से परिपूर्ण था, और सर्वथा शुभ गुणों से युक्त था। चार पैर वाले जीव भी एक सिंह राजा की पूजा करते थे। फिर, पक्षियों के झुंड ने हिमालय क्षेत्र में एक पाषाण पर बैठकर यह आह्वान किया कि मनुष्यों में राजा का सर्वोच्च स्थान होता है, और चतुष्पदों में भी यह श्रेष्ठता विद्यमान होती है। लेकिन हमारे समय में, राजा का अस्तित्व नहीं है, और 'अराजकता' का शासन किसी भी स्थान पर नहीं पाया जाता।" यह गद्यांश यह बताता है कि अतीत में राजा का शासन था, और समाज और जीवों के बीच राजा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती थी, लेकिन वर्तमान में इस तरह का कोई राजतंत्र नहीं है।
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