चरण 1: संवैधानिक अभिप्राय। 
आरक्षण का उद्देश्य अनुसूचित जाति/जनजाति के ऐतिहासिक सामाजिक बहिष्करण को दूर करना और उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व देना है (अनु. 15(4), 16(4), 330–332)। 
चरण 2: ''मात्रा'' कैसे तय होती है? 
आरक्षण की कुल मात्रा सामान्यतः संबंधित समुदाय की जनसंख्या-प्रतिशत के अनुरूप निर्धारित की जाती है—ताकि प्रतिनिधित्व वास्तविक जनसंख्या-साझे के करीब पहुँचे (जैसे केंद्र/राज्यों में SC का आरक्षण प्रायः उनकी जनसंख्या के आसपास रखा जाता है)। 
चरण 3: अन्य विकल्प क्यों नहीं। 
आरक्षण गरीबी/आर्थिक आवश्यकता पर नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और पर्याप्त प्रतिनिधित्व पर आधारित है; ''आनुवंशिक स्थिति'' जैसी कोई कसौटी भारतीय व्यवस्था में नहीं है। इसलिए सही उत्तर जनसंख्या के संदर्भ में है।