चरण 1: अवधारणा समझें। 
आधुनीकीकरण में औद्योगिकीकरण, नगरीकरण, शिक्षा-विस्तार, नौकरशाही, बाज़ार-विस्तार, तकनीकीकरण और तर्कशीलता का प्रसार शामिल है। इन प्रक्रियाओं से पेशों का विभेदीकरण और श्रम का विशेषीकरण बढ़ता है। 
चरण 2: वर्ग-संरचना पर प्रभाव। 
खेती पर निर्भर परंपरागत ढाँचा रूपांतरित होकर औद्योगिक श्रमिक वर्ग, नयी मध्यवर्गीय/पेशेवर श्रेणियाँ, सेवा क्षेत्र आदि उभरते हैं। यानी आधुनिक अर्थव्यवस्था में नये सामाजिक–आर्थिक वर्ग निर्मित होते हैं और पुरानी जाति-आधारित प्रतिष्ठा की जगह शिक्षा–पेशा–आय पर आधारित वर्ग-भेद महत्त्व पकड़ते हैं। 
चरण 3: अन्य विकल्पों का मूल्यांकन। 
निरक्षरता सामान्यतः घटती है (विद्यालयीकरण बढ़ता है)। बेरोज़गारी कुछ चरणों/क्षेत्रों में बढ़ सकती है पर यह सार्विक और अनिवार्य परिणाम नहीं। जाति संघर्ष राजनीतिक/सांस्कृतिक कारणों से हो सकता है, पर आधुनीकीकरण का प्रत्यक्ष अनिवार्य नतीजा नहीं है। इसलिए सबसे उपयुक्त उत्तर नये वर्गों का उदय है।