योग दर्शन में 'योग' का क्या अर्थ है?
Step 1: वैचारिक आधार.
योग सांख्य की दार्शनिक पृष्ठभूमि पर खड़ा है—पुरुष और प्रकृति का भेद मानकर मोक्ष को अंतिम पुरुषार्थ मानता है। पतञ्जलि 'योगसूत्र' (1.2) में स्पष्ट करते हैं: "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः।"
Step 2: साधन-चक्र.
अष्टाङ्ग योग क्रमिक शुद्धि देता है: यम-नियम से नैतिक अनुशासन, आसन-प्राणायाम से देह-प्राण की स्थिरता, प्रत्याहार-धारणा-ध्यान से अन्तर्मुखी एकाग्रता, और समाधि से तत्त्वसाक्षात्कार।
Step 3: फल.
वृत्तिनिरोध से क्लेशक्षय, संस्कार-शुद्धि और विवेकख्याति होती है; चित्त प्रत्यक् स्थित होकर पुरुष के स्वतंत्र स्वरूप के ज्ञान का साधन बनता है।
Step 4: समन्वय.
योग शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक मुक्ति—तीनों का समन्वय है; इसीलिए इसे 'समग्र अनुशासन' कहा जाता है।
योग दर्शन में 'चित्तवृत्ति निरोध' को क्या कहते हैं?
निम्नलिखित में से कौन-सा एक पारार्थानुमान का घटक नहीं है?
वैशेषिक दर्शन का दूसरा नाम क्या है?
कितने पदार्थों को वैशेषिक स्वीकार करता है?
'तत्त्वचिन्तामणि' पुस्तक के लेखक कौन हैं?