चरण 1: अष्टाङ्ग-योग का संदर्भ।
पतंजलि के अनुसार साधना के आठ अंग हैं—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। इसमें यम बाह्य/सामाजिक संयम हैं और नियम आन्तरिक अनुशासन।
चरण 2: 'अहिंसा' का स्थान।
यम के पाँच उपांग—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह। अहिंसा का अर्थ है किसी भी प्राणी को वाणी, मन और शरीर से चोट न पहुँचाना; यही योग के नैतिक आधार का प्रथम नियम है।
चरण 3: विकल्पों का उन्मूलन।
नियम के पाँच—शौच, सन्तोष, तपस्, स्वाध्याय, ईश्वर-प्रणिधान; अतः तपस् (विकल्प 4) 'नियम' का अंग है, 'यम' नहीं। आसन शारीरिक स्थिरता/स्थितप्रज्ञता हेतु देह-स्थितियाँ हैं। इसलिए 'अहिंसा' को यम में रखा जाता है—सही उत्तर (1)।