Question:

विकास की अंधी दौड़ का क्या दुष्परिणाम सामने आया ? ऐसी परिस्थिति में बदलाव के क्या उपाय हो सकते हैं ? ‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ के आधार पर लिखिए।

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विकास की अंधी दौड़ में बदलाव के लिए सामूहिक प्रयासों और सतत विकास की नीति को अपनाना जरूरी है।
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Solution and Explanation

‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ में लेखक ने विकास की अंधी दौड़ के दुष्परिणामों को बड़ी ही गंभीरता से दिखाया है। इस विकास की दौड़ ने प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन, पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलन और समाज के कमजोर वर्गों के शोषण को जन्म दिया। लेखक के अनुसार, विकास की यह अंधी दौड़, जहाँ केवल भौतिक उन्नति को प्राथमिकता दी जा रही है, ने सामाजिक और पर्यावरणीय असंतुलन को बढ़ावा दिया है। हम अधिक उत्पादन और उन्नति की चाह में प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और सामाजिक असमानता जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
इस समस्या का समाधान केवल आर्थिक या राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं किया जा सकता। हमें समाज के हर क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि विकास केवल भौतिक उन्नति का नाम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है।
समाज में यह बदलाव लाने के लिए हमें सतत विकास की नीति अपनानी होगी। पर्यावरण के प्रति जागरूकता, संसाधनों का सही तरीके से उपयोग, और समाज में समानता की भावना का प्रचार करना बेहद आवश्यक है। इसके साथ ही, हमें विकास की ऐसी परिभाषा पर विचार करना होगा, जो केवल भौतिक वृद्धि पर नहीं, बल्कि मानवता, समृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर आधारित हो।
एक और महत्वपूर्ण कदम यह हो सकता है कि विकास के निर्णय लेने में स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाए, ताकि विकास का असर हर वर्ग पर समान रूप से पड़े। इसके अलावा, सरकारी योजनाओं में पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय को भी प्रमुखता दी जाए।
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