Question:

वैशेषिक के 'अभाव' पदार्थ दिया गया है— 
 

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स्मरण: कणाद = 6 पदार्थ; बाद में प्रशस्तपाद ने अभाव जोड़कर व्यवस्था 7 (फिर 7+) कर दी—अभाव के चार भेद: प्राग, ध्वंस, अत्यन्त, अन्योन्य
  • प्रशस्तपाद द्वारा
  • गौतम द्वारा
  • कणाद द्वारा
  • भर्तृहरि द्वारा
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collegedunia
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

चरण 1: मूल पदार्थ-योजना।
आदि वैशेषिक (कणाद) ने छः पदार्थ माने—द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय। बाद के आचार्यों ने तत्त्व-विश्लेषण बढ़ाते हुए 'अभाव' (अस्तित्व-निषेध/अनुपस्थिति) को भी स्वतंत्र पदार्थ रूप में प्रतिष्ठित किया।
चरण 2: 'अभाव' का प्रतिपादन।
वैशेषिक-परम्परा में प्रशस्तपाद (ग्रन्थ: पदार्थधर्मसंग्रह) ने 'अभाव' को अलग पदार्थ के रूप में सुव्यवस्थित किया, जिसका आगे न्याय-वैशेषिक में अधिक विकास हुआ—जैसे प्राग-अभाव, ध्वंस-अभाव, अत्यन्त-अभाव, अन्योन्य-अभाव के भेद। इस प्रकार अभाव द्वारा नकारात्मक अनुभूति (जैसे "घट नहीं है") की प्रमाणिकता और अन्तःसत्तात्मक स्थिति समझाई गई।
चरण 3: विकल्प-उन्मूलन।
गौतम न्यायसूत्रकार हैं; कणाद ने मूल छह पदार्थ ही दिए; भर्तृहरि व्याकरण-दर्शन के आचार्य हैं—अतः 'अभाव' को पदार्थ रूप देने का श्रेय प्रशस्तपाद को जाता है।
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