चरण 1: कर्म का अर्थ।
वैशेषिक दर्शन में कर्म पदार्थ-श्रेणियों में से एक है और इसका अर्थ है गति/आंदोलन जो द्रव्य में नवीन स्थिति-परिवर्तन पैदा करे। कर्म के कारण ही गुणों और द्रव्यों में अनेक भौतिक परिवर्तन समझाए जाते हैं।
चरण 2: कर्म के पाँच भेद।
वैशेषिक ग्रन्थ पाँच प्रकार के कर्म गिनते हैं—(i) उत्क्षेपण (ऊपर की ओर फेंकना/उठना), (ii) अवक्षेपण (नीचे गिरना), (iii) आकुंचन (सिकुड़ना/संकुचन), (iv) प्रसारण (फैलना/विस्तार), (v) गमन या देशान्तर-गमन (स्थान-परिवर्तन/चालन)। ये सभी भौतिक गति के मूल रूप हैं जिनसे अन्य जटिल गतियाँ समझी जाती हैं।
चरण 3: विकल्प जाँच।
कर्म के मानक भेद पाँच ही बताए गए हैं; आठ, सोलह, चौबीस का उल्लेख वैशेषिक में कर्म-प्रकारों के रूप में नहीं मिलता। अतः सही उत्तर (1) पाँच।