चरण 1: प्रश्न को समझें
यह प्रश्न उत्तर प्रदेश (या किसी भी भारतीय राज्य) में विधानसभा को भंग करने की शक्ति किसके पास है, इसके बारे में पूछता है। यह भारतीय राजव्यवस्था, विशेषकर राज्य विधानमंडल और संवैधानिक पदाधिकारियों की शक्तियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान का प्रश्न है।
चरण 2: राज्य विधानसभा के भंग होने की प्रक्रिया को जानें
भारत में संसदीय प्रणाली अपनाई गई है, जहाँ राज्य स्तर पर राज्य विधानसभा (विधानसभा) का अस्तित्व है। विधानसभा को भंग करने का अधिकार एक महत्वपूर्ण संवैधानिक शक्ति है।
भारतीय संविधान के अनुसार, राज्य की विधानसभा को भंग करने की शक्ति राज्यपाल (Governor) के पास होती है।
राज्यपाल सामान्यतः मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं (अनुच्छेद 163)। मुख्यमंत्री राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सलाह दे सकते हैं, खासकर जब वे नए चुनाव चाहते हों।
हालांकि, कुछ असाधारण परिस्थितियों में, राज्यपाल अपने विवेकानुसार भी कार्य कर सकते हैं, जैसे कि जब किसी दल या गठबंधन के पास बहुमत न हो और सरकार बनाना संभव न हो।
अनुच्छेद 356 के तहत 'राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता' की स्थिति में, राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है और राज्य विधानसभा को भंग या निलंबित किया जा सकता है, लेकिन यह अधिकार भी राज्यपाल की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति द्वारा प्रयोग किया जाता है। प्रश्न सीधे विधानसभा को भंग करने का अधिकार पूछ रहा है, जो राज्य स्तर पर राज्यपाल के पास होता है।
चरण 3: विभिन्न विकल्पों का विश्लेषण करें
(A) मुख्यमंत्री: मुख्यमंत्री राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सलाह दे सकते हैं, लेकिन उन्हें स्वयं विधानसभा भंग करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।
(B) राज्यपाल: राज्यपाल राज्य की विधानसभा को भंग करने का संवैधानिक अधिकार रखते हैं। यह सही उत्तर है।
(C) उपराष्ट्रपति: उपराष्ट्रपति का पद केंद्र सरकार से संबंधित है और वे राज्य विधानसभाओं को भंग करने की शक्ति नहीं रखते हैं।
(D) प्रधानमंत्री: प्रधानमंत्री केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं और उनका राज्य विधानसभाओं को सीधे भंग करने में कोई भूमिका नहीं होती है।
चरण 4: सही उत्तर की पहचान करें
उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर, उत्तर प्रदेश में विधानसभा को भंग करने का अधिकार राज्यपाल के पास है।
सही उत्तर है $\boxed{\text{(B) राज्यपाल}}$।