कर्तृवाच्य में कर्ता की प्रधानता होती है और क्रिया कर्ता के लिंग, वचन और काल के अनुसार बदलती है।
कर्तृवाच्य वाक्य में क्रिया का प्रभाव सीधे कर्ता पर होता है, और क्रिया कर्ता के अनुसार लिंग, वचन तथा काल के हिसाब से बदलती है। इसका मतलब है कि वाक्य में कर्ता प्रमुख होता है और क्रिया उसी के अनुरूप होती है।
दिए गए वाक्य में 'उनके द्वारा' कर्ता पद है, जबकि 'मुझे सच्चाई का अहसास कराया गया' क्रिया है। यहाँ क्रिया में कर्म 'मुझे' है और क्रिया कर्मवाच्य रूप में है।
जब इसे कर्तृवाच्य में बदला जाता है तो 'उनके द्वारा' के स्थान पर 'उन्होंने' आता है, जो कर्ता बन जाता है। साथ ही क्रिया 'अहसास कराया गया' पुल्लिंग एकवचन में 'अहसास कराया' के रूप में बदल जाती है ताकि वह कर्ता 'उन्होंने' के अनुसार मेल खाए।
इस प्रकार, कर्तृवाच्य में कर्ता की प्रधानता और क्रिया का कर्ता के अनुरूप बदलना अनिवार्य होता है, जिससे वाक्य का अर्थ स्पष्ट और सटीक हो जाता है।