Question:

सूरदास की झोंपड़ी जलने के समय सुभागी कहाँ थी? सूरदास की दुर्दशा के लिए वह स्वयं को ज़िम्मेदार क्यों मान रही थी? सुभागी की अवस्था के सामाजिक कारणों का उल्लेख कीजिए। 
 

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किसी पात्र की प्रतिक्रिया या आत्मग्लानि को समझने के लिए उसके सामाजिक और आर्थिक संदर्भ को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। इससे कहानी के मानवीय और सामाजिक पक्षों की गहराई स्पष्ट होती है।
Updated On: Jul 30, 2025
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Solution and Explanation

जब सूरदास की झोंपड़ी में आग लगी, उस समय सुभागी पास के जंगल में लकड़ी बीनने गई हुई थी। आग की सूचना पाकर जब वह दौड़ी-दौड़ी वहाँ पहुँची, तब तक झोंपड़ी जल चुकी थी और सूरदास लाचार अवस्था में बाहर पड़ा था।

सुभागी स्वयं को सूरदास की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार मानती है क्योंकि यदि वह उस समय वहाँ होती, तो शायद झोंपड़ी में आग न लगती या सूरदास को समय रहते बाहर निकाल सकती। उसकी आत्मग्लानि उसके सेवा-भाव और मानवीय संवेदना को दर्शाती है।

सुभागी की सामाजिक स्थिति भी इस घटनाक्रम को प्रभावित करती है। एक निर्धन, असहाय स्त्री होने के कारण वह ना तो अपने लिए सुरक्षा सुनिश्चित कर पाती है, और ना ही समाज में सम्मान का स्थान पा सकती है। उसकी गरीबी, असुरक्षा, और उपेक्षा ही उसे ऐसे हालातों में डालती है। यह सामाजिक व्यवस्था की विफलता का उदाहरण है, जहाँ संवेदनशील लोग भी बेबस रह जाते हैं।
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