Question:

'शिवस् + अर्च्यः' में सन्धि करके पद बना

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जब विसर्ग से पहले 'अ' हो और बाद में भी 'अ' हो, तो विसर्ग का 'ओ' हो जाता है और बाद वाले 'अ' का अवग्रह (ऽ) चिह्न बन जाता है। जैसे - कः + अपि = कोऽपि।
Updated On: Nov 17, 2025
  • शिवोऽर्च्यः
  • शिवर्च्यः
  • शिवोचर्यः
  • शिवसचर्यः
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collegedunia
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

Step 1: Understanding the Question:
'शिवस् + अर्च्यः' में संधि करके सही पद का निर्माण करना है।
Step 2: Key Concept:
यह विसर्ग संधि के दो नियमों का संयोजन है:
1. ससजुषो रुः: पदान्त 'स्' को 'रु' (र्) आदेश होता है।
2. हशि च: यदि 'र्' से पहले 'अ' हो और बाद में हश् प्रत्याहार का वर्ण (यहाँ 'अ') हो, तो 'र्' को 'उ' हो जाता है।
3. आद् गुणः: 'अ + उ' मिलकर 'ओ' गुण हो जाता है।
4. एङः पदान्तादति: यदि पदान्त 'ओ' के बाद 'अ' आए तो 'अ' का पूर्वरूप (ऽ - अवग्रह) हो जाता है।
Step 3: Detailed Explanation:
1. शिवस् + अर्च्यः $\rightarrow$ शिवरु + अर्च्यः (ससजुषो रुः से)
2. शिवर् + अर्च्यः $\rightarrow$ शिव उ + अर्च्यः (हशि च से)
3. शिव + उ + अर्च्यः $\rightarrow$ शिवो + अर्च्यः (आद् गुणः से)
4. शिवो + अर्च्यः $\rightarrow$ शिवोऽर्च्यः (एङः पदान्तादति से)
अतः, सही पद 'शिवोऽर्च्यः' है।
विकल्प (A) सही है।
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