Question:

'शारीरिक विकास की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था है'

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शैशवावस्था में सही पोषण और देखभाल से बच्चे के भविष्य के शारीरिक और मानसिक विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • शैशवावस्था
  • बाल्यावस्था
  • प्रौढावस्था
  • किशोरावस्था
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The Correct Option is A

Solution and Explanation

शैशवावस्था शारीरिक विकास की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था है। यह वह समय होता है जब शिशु का शरीर तेज़ी से विकसित होता है और उसकी शारीरिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। शैशवावस्था को जन्म से लेकर लगभग दो साल की उम्र तक माना जाता है, और इस दौरान शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में तेजी से वृद्धि होती है। इस अवस्था में शरीर के अंगों और तंत्रों का आधारभूत विकास होता है, जो बाद में जीवन में पूरी तरह विकसित होते हैं। उदाहरण के लिए: - मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र: शैशवावस्था के दौरान मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है और तंत्रिका तंत्र में कनेक्शन स्थापित होते हैं, जो शिशु को शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। - हड्डियाँ और मांसपेशियाँ: शिशु की हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मजबूत और विकसित होनी शुरू होती हैं, जिससे वे आगे चलकर शारीरिक गतिविधियाँ और मोटर कौशल कर सकते हैं। - इम्यून सिस्टम: इस दौरान शिशु का इम्यून सिस्टम भी विकसित होता है, खासकर यदि उसे माँ के दूध से मिली एंटीबॉडीज़ के माध्यम से प्रतिरक्षा मिलती है। शैशवावस्था के दौरान शिशु का शारीरिक विकास बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह शरीर के विभिन्न अंगों और तंत्रों की आधारशिला है, जो जीवनभर के विकास में सहायक होते हैं। इसके बाद, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, और प्रौढावस्था आती हैं, जिनमें शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक विकास के विभिन्न चरण होते हैं। हालांकि, शारीरिक विकास के संदर्भ में शैशवावस्था का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस समय में शरीर की प्रमुख संरचनाएँ और प्रणालियाँ पहली बार आकार लेती हैं, और जीवन के अन्य भागों के विकास की नींव रखी जाती है।
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