Comprehension

शान्त, स्निग्ध ज्योत्सना उज्वल । अपलक अनंत नीरव भू-तल !
सैकत- शय्या पर दुग्ध-धवल तन्वंगी गंगा, ग्रीष्म विरल,
लेटी हैं श्रांत, क्लांत, निश्चल ।
तापस- बाला-सी गंगा कल निर्मल, शशि-मुख से दीपित मृदु-करतल,
लहरें उर पर कोमल कुंतल ।
गोरे अंगों पर सिहर सिहर, लहराता तार-तरल सुन्दर
चंचल अंचल सा नीलाम्बर ।
साड़ी की सिकुड़न-सी जिस पर, शशि की रेशमी - विभा से भर सिमटी हैं वर्तुल मृदुल लहर ।
चाँदनी रात का प्रथम प्रहर, हम चले नाव लेकर सत्वर ।

Question: 1

उपर्युक्त पद्यांश के पाठ एवं कवि का नाम लिखिए।

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पद्यांश की भाषा और प्रकृति का अध्ययन करके उसके कवि और काव्य-स्रोत की पहचान करें।
Updated On: Nov 15, 2025
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उपर्युक्त पद्यांश 'गंगा' कविता से लिया गया है, जिसके कवि सुमित्रानंदन पंत हैं। इस कविता में गंगा नदी के सौंदर्य और उसके शांत रूप का मनोहारी वर्णन किया गया है।
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Question: 2

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

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किसी काव्य पंक्ति की व्याख्या करते समय उसकी उपमाओं और प्रतीकों पर विशेष ध्यान दें।
Updated On: Nov 15, 2025
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रेखांकित अंश में गंगा की सुंदरता और उसका चंद्रमा की रौशनी में निखरता हुआ सौंदर्य दर्शाया गया है। कवि ने गंगा की जलधारा को एक तपस्विनी नारी के रूप में प्रस्तुत किया है, जो शांत, सौम्य और निष्कलंक है। उसकी लहरों को कोमल कुंतलों के समान बताया गया है, जो धीरे-धीरे बह रही हैं।
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Question: 3

प्रस्तुत पद्यांश में किसका चित्रण किया गया है?

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प्राकृतिक चित्रण में कवि उपमाओं और प्रतीकों के माध्यम से दृश्य को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।
Updated On: Nov 15, 2025
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प्रस्तुत पद्यांश में गंगा नदी का प्राकृतिक सौंदर्य और उसकी शांत, स्निग्ध छवि का चित्रण किया गया है। कवि ने गंगा को एक सौम्य और कोमल नारी के रूप में प्रस्तुत किया है, जो शांत जलधारा के रूप में प्रवाहित हो रही है।
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Question: 4

बालू के मध्य गंगा बहती हुई कैसी प्रतीत हो रही है?

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प्राकृतिक वर्णन में प्रयुक्त विशेषणों और उपमाओं से विषय को स्पष्ट किया जा सकता है।
Updated On: Nov 15, 2025
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बालू के मध्य बहती हुई गंगा एक तन्वंगी (सुकुमार) नारी के समान प्रतीत हो रही है। उसका जल दूध की भांति धवल है और चंद्रमा की चांदनी में वह अद्भुत रूप से चमक रही है। उसकी लहरें कोमल कुंतलों की तरह प्रतीत हो रही हैं, जो मंद-मंद बह रही हैं।
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Question: 5

कवि 'नौका विहार' के लिए कब निकलता है?

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रात्रिकालीन प्राकृतिक दृश्य का वर्णन हिंदी काव्य में विशेष सौंदर्य उत्पन्न करता है।
Updated On: Nov 15, 2025
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कवि चाँदनी रात के प्रथम प्रहर में नौका विहार के लिए निकलता है। इस समय गंगा की लहरों पर चंद्रमा की रौशनी पड़ रही होती है, जिससे वातावरण और अधिक मनमोहक हो जाता है।
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