'सवैया' और 'बरवै' दोनों ही भारतीय काव्यशास्त्र में महत्वपूर्ण छन्द हैं, जो काव्य की लय और ताल को संरचित करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
सवैया छन्द:
सवैया छन्द का प्रयोग विशेष रूप से हिंदी काव्य में किया जाता है। यह एक प्रकार का चौपाई है जिसमें प्रत्येक पंक्ति में आठ (८) मात्राएँ होती हैं। सवैया छन्द में लय की विशेषता होती है और यह काव्य को ताल में बांधने में सहायक होता है। सवैया छन्द का प्रयोग प्रायः वीर रस, श्रृंगार रस या भक्ति रस में किया जाता है।
उदाहरण:
"सदैव सच्चा हो जो मनुष्य, वही सिखलाता है ज्ञान।
विपत्ति में जो साहस रखे, वही होता है महान।"
यहां पर प्रत्येक पंक्ति में आठ मात्राएँ हैं, जो इसे सवैया छन्द बनाती हैं।
बरवै छन्द:
बरवै छन्द हिंदी काव्य का एक और प्रसिद्ध छन्द है। यह छन्द ११-१०-११-१० के मात्रिक संरचना में होता है, अर्थात प्रत्येक पंक्ति में पहले ११ और फिर १० मात्राएँ होती हैं। बरवै छन्द का प्रयोग भावनात्मक और श्रृंगारिक कविताओं में अधिक किया जाता है।
उदाहरण:
"सपनों की रातें हो, चाँद के संग गुजरें, (११ मात्राएँ)
तेरे बिना सब कुछ सूना है, दिल मेरा तुझसे भरें। (१० मात्राएँ)"
यहां पर पहली पंक्ति में ११ और दूसरी पंक्ति में १० मात्राएँ हैं, जो इसे बरवै छन्द बनाती हैं।
सवैया छन्द का उदाहरण: "सदैव सच्चा हो जो मनुष्य, वही सिखलाता है ज्ञान।"
बरवै छन्द का उदाहरण: "सपनों की रातें हो, चाँद के संग गुजरें, तेरे बिना सब कुछ सूना है।"