सांख्य के अनुसार प्रकृति के स्वरूप की व्याख्या करें।
Step 1: त्रिगुण-तत्व.
सत्त्व–रजस–तमस की परस्पर क्रिया प्रकृति का संतुलन/विक्षोभ निर्धारित करती है।
Step 2: विकास-क्रम.
प्रकृति $\to$ महत्त (बुद्धि) $\to$ अहंकार $\to$ तन्मात्राएँ/इन्द्रियाँ/मन $\to$ स्थूल पंचभूत—यह कार्य-कारण श्रृंखला है।
Step 3: पुरुष-संबन्ध.
पुरुष साक्षी है; उसकी सन्निधि से ही प्रकृति का प्रवर्तन; पर पुरुष असंग रहता है।
Step 4: साधना-निहितार्थ.
गुण-संतुलन, विशेषतः सत्त्व-वृद्धि और विवेक-ज्ञान से प्रकृति-वृत्तियाँ शान्त होकर मुक्ति-पथ प्रशस्त करती हैं।
योग दर्शन में 'चित्तवृत्ति निरोध' को क्या कहते हैं?
निम्नलिखित में से कौन-सा एक पारार्थानुमान का घटक नहीं है?
वैशेषिक दर्शन का दूसरा नाम क्या है?
कितने पदार्थों को वैशेषिक स्वीकार करता है?
'तत्त्वचिन्तामणि' पुस्तक के लेखक कौन हैं?